आधुनिक युग के चलते बैलों द्वारा खेती करने का कार्य धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है।इनका का कार्य ट्रैक्टर ट्राली ले चुके हैं।चाहे फसलों की ढुलाई करनी हो या खेत में जुताई सभी कार्य ट्रैक्टर द्वारा किए जा रहे हैं। कहने मात्र को किसी गांव में भले ही खेती का कार्य बालों द्वारा होता हो। लेकिन उस समय जो बैलों द्वारा कार्य होता था वह धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। बैलों का बड़ा ही महत्व था। पंडित प्रेमचंद जी ने दो बैलों की कहानी अपने लेख में लिखा था।उसे भले ही पढ़कर संतोष किया जा सके। कोई समय था की हर किसान अपने घरों में बैल भैंस गाय को पालता था उसी से उसके परिवार का पूरा खर्चा चलता था और घर में खाने पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध दही देसी घी होता था।जिसका सेवन करके हर व्यक्ति स्वस्थ रहता था ।किसी भी किसान को व्यायाम करनके लिए नहीं कहा जाता था।क्योंकि हर कृषक प्रातः काल उठकर जानवरों के लिए चारापानी आदि की व्यवस्था करता था और ब्रह्म मुहूर्त में बैलों को लेकर खेत, खलियान में पहुंच जाता था।वहां पर ढुलाई और जुताई का कार्य करता था।जब बैलों द्वारा खेती होती थी तो किसनो की लागत से आमदनी अधिक होती थी। उस समय ट्रैक्टर ट्राली का चलन बिल्कुल नहीं था और न ही आवागमन के इतने साधन थे।आवागमन हेतु कुछ किसान लोग साइकिल का प्रयोग करते थे। ज्यादातर किसान पैदल यात्रा करते थे।उस समय आवागमन के साधन के अभाव में ज्यादातर लोग बैलगाड़ी व डलप का प्रयोग करते थे।शादी के अवसर पर लोग बैलगाड़ी का प्रयोग करते थे ।बैलगाड़ी पर नई नवेली दुल्हन भी बैठ कर आतीथी बारात से लेकर गौने तक सभी कार्य बैलगाड़ी द्वारा संपन्न होते थे। अगर कहीं दूर बारात लेकर जाना होता था।तो इस बैलगाड़ी पर खाने पीने की चीजे रख लेते थे और समय से पहले वहां पहुंच जाते थे।जब किसान बैलों द्वारा खेती करता था तो वह व्यक्ति बीमार बहुत कम पडता था।आज के युग में बीमारी ने किसी को नहीं छोड़ा चाहे वह किसान हो या कोई साधारण व्यक्ति सभी लोग रोगों से पीड़ित है किसी को शुगर हो गया है तो किसी का ब्लड प्रेशर हाई है। बहुत से लोग हृदय गति रुक जाने के कारण काल के मुंह में समा जाते हैंlजब बैलों द्वारा खेती होती थी तो कहीं किसी को कोई छुट्टा जानवर घूमते नहीं मिलता था।बछड़ों की बड़ी-बड़ी बाजार लगती थी। जहां पर सैकड़ो संख्या में बछड़े प्रतिदिन बिकते थे।किसान लोग इन बछड़ों को घर में लाकर खेती का कार्य करने के लिए उन्हें ट्रेड करते थे।इससे हमारे देश का किसान खुशहाल रहता था ।इसी तर्ज पर कहा गया है कि भारत कृषि प्रधान देश है ।लेकिन आज कथनीऔर करनी में बड़ा अंतर आ गया है।भारत देश का किसान दिनों दिन महंगाई के चलते बेहाल हो रहा है। मेहनत करने के बावजूद भी उसे लाभ नहीं मिल पा रहा है।फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक किसान जाड़ा ,गर्मी ,बरसात को सहते हुए अपने फसलों की छुट्टा जानवरों से रखवाली कर रहा है।जिस देश का किसान बेहाल होगा उस देश का कभी भी कल्याण नहीं हो सकता है। क्योंकि किस को अन्नदाता कहा गया है।

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