बस्ती/जनपद बस्ती के अन्तर्गत विभिन्न विभागों मे सूचनार्थ प्रेषित कर आवेदन दाखिल करने के बाद भी जनसूचना अधिकार के अधिकारी सूचना देने मे हिल्ला हवाली करते हुये नजर आये है, अभी एक आम बात हो गयी है सूचना के तहत मांगी गयी सूचना को लेकर सही सूचना उपलब्ध कराने मे सम्बन्धित अधिकारीयो को बडी ही समस्या उत्पन्न हो रही है, जबकि भारतीये सम्विधान मे बर्णित अनुछेद के हिसाब से भ्रष्टचार के मुहिम पर रोक लगाने एंव भ्रष्टाचार को रोकने कें लिये जनसूचना अधिकार अधिनियम के नियम व शर्त को लेकर एक आम नागरिक के लिए सम्विधान द्वारा लागू किया गया था,परन्तु कुछ भ्रष्ट भ्रष्टाचारियों के चलते सूचना को सूचनार्थ प्रेषित करने मे अत्यंत समस्या उत्पन्न हो रही है, जिसको लेकर जब दबाव मे मजबूर और लाचार बेबश हो जाते है तो लिफाफो मे सिर्फ सादा पेपर भेजकर सूचनार्थ प्रेषित किया जा रहा है, यह प्रथम दृष्टता से बस्ती जनपद के विभिन्न विभागों के अधिकारियो द्वारा किया जा रहा है,और सूचना के अधिकार को निगल कर भ्रष्टाचारी अधिकारियों द्वारा मामलो को दबा दिया जा रहा है,पहले कि सरकारो मे भ्रष्टाचारो पर अगर खबरे प्रकाशित होती तो सम्बन्धित भ्रष्टाचारी और भ्रष्टचार पर अंकुश लग जाता था और सम्वैधानिक विधिक प्रक्रिया से जाँच भी किया जाता था लेकिन वर्तमान समय मे कुछ भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा सूचना विभाग को चूना लगाने का काम किया जा रहा है, और सिर्फ नामी गामी लोगो की खबरो को लेकर जनपद बस्ती का भी सूचना विभाग संज्ञान मे लेता है, जबकि सूचना मन्त्रालय द्वारा समाचार पत्र-का सम्वैधानिक मूल्यांकन बराबरी का होता है परन्तू कुछ न समझ और पद दुरपयोगी अधिकारियों के चलते खबरे प्रकाशित होती रहती है और भ्रष्टचार जैसी समस्यायों कम होने का नाम नही ले रही है,क्या सूचना मन्त्रालय ने यह आदेश जारी कर दिया गया है नामी गामी लोगो कि खबरो को ही बस्ती के सूचना विभाग के अधिकारी संज्ञान मे लेंगे बाकी और लोगो की पत्रिका RNIफर्जी है जो बस्ती का सूचना विभाग संज्ञानित नही कर रहा है और प्रकाशित खबर की नोटिस जारी नही कर रहा है,इसका मुख्य कारण क्या है क्या गिने चुने लोगो को प्राथमिकता देना मूल भूत सम्विधान औपचारिकता है,क्या-इसलिये सभी पत्रिका का RNIजारी किया गया था सूचना मन्त्रालय द्वारा सिर्फ जिन्दा होने का बिडम्बना पीटेंते रहेंगे,