संविधान रक्षक जिला संवाददाता
जय
उमेश तिवारी

राम नगर बाराबंकी तहसील क्षेत्र महादेवा जनता द्वारा बताया जाता है की महंत चंद्र चुडेनद पुरी
सन 19,/12/61, चंद्र चुडैनद पुरी संस्कृत पाठशाला के सभी अधिकार महंत चन्द्र चुडेनदपुरी के पास थे। संरक्षक व्यवस्थापक महंत के अधिकार में था। उपाध्यक्ष उपसभापति लल्लन प्रसाद तिवारी, मंत्री गुरु प्रसाद तिवारी, उप मंत्र रामेश्वर प्रसाद, कोषाध्यक्ष शीतला प्रसाद तिवारी, यह सभी लोग बनाए गए थे, उसके बाद मठ महन्त कोई बना नहीं जब की मठ महन्त बनने के लिये उच्च न्यायालय हाइकोर्ट लखनऊ में मुकदमा विचाराधीन चल रहा है। जिसमें उच्च न्यायालय ने एक नियुक्ति मठ की देख रेख के लिए मठ रिसीवर सिविल कोर्ट के अधिवक्ता हर प्रसाद द्विवेदी को नियुक्ति दी गई है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह है की मठ रिसीवर होते हुए। मठ की संपत्ति का दुरुपयोग क्यों हो रहा है। यह सोचनीय विषय है। क्या मठ रिसीवर हरिप्रसाद द्विवेदी ने
उच्च न्यायालय विचाराधीन मुकदमे के अंतर्गत मठ रिसीवर हरिप्रसाद द्विवेदी ने देख रेख के लिए किसी को अधिकार दिया है। अगर दिया है तों उसके साक्ष्य जनता के समक्ष पेश किया जाए। क्योंकि जनता का कहना है। उच्च न्यायालय में चल रहे बिचारा धीन मुकदमा, जिसका अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। फिर भी मठ की संपत्ति का हो रहा दुरुपयोग। जनता का कहना है कि कुछ अराजक तत्व के द्वारा खुलेआम मठ की संपत्ति का धड़ले से हो रहा दुरुपयोग। अजय शर्मा का कहना है की महादेवा मठ व संस्कृत पाठशाला में विपक्षी का परिवार हावी है। उनका यह भी कहना है कि अगर मठ रिसीवर हरिप्रसाद द्विवेदी द्वारा विपक्ष के परिवार को रोका ना गया तो उच्च न्यायालय में चल रहे बिचारा धीन मुकदमा की अवहेलना होगी। और अजय शर्मा का यह भी कहना है कि कोई महन्त गद्दी पर बैठा नहीं तो संस्कृत पाठशाला महादेवा में नये नियम का अधिकार किसके द्वारा दिया गया। यह सोचनीय विषय है।

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