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➡️ कई सफेद पोश नेताओं के संरक्षण में होता है खनिज का खेल जिसके चलते प्रकृति का अस्तित्व खतरे में
👉🏿 प्रकृति की सुंदरता पर चार चांद लगा रहे पहाड़ों पर लगा खनिज माफिया नामक ग्रहण
✒️ पवन कुमार श्रीमाली✒️
💫पर्यावरण के लिए घातक है अंधाधुंध खनन
अंधाधुंध खनन पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। खनन की वजह से उडऩे वाली रेत शुद्ध वायु को दूषित करती है। इसका प्रभाव मानव जीवन तथा पशु-पक्षियों पर पड़ता है। रेत के कण हमारे फेफड़ों और आंखों में पहुंच जाते हंै। इससे नई-नई बीमारियां शरीर को घेर लेती हंै। खानों में प्रयोग में किए जाने वाले बारूद से मलबे के ढेरों के कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है। अंधाधुंध खनन के कारण ही आज उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में अरावली पर्वत माला खोखली होती जा रही है। खनन के नाम पर पहाड़ों की बलि दी जा रही है। इससे कई वन्य जीवों की प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं। अत्यधिक खनन से भूमि कटाव, धूल और नमक से भूमि के उपजाऊपन में परिवर्तन, जल का खारा होना, समीपस्थ क्षेत्रों और वन्य क्षेत्रों में शोर जैसी समस्याएं पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है। अयस्क अथवा खनिज खानों से निकलने वाले मलबे में नुकसानदेह रासायनिक तत्व होते हैं, जिससे जल प्रदूषण बढ़ता हैं।
अवैध खनन पर रोक लगे
अंधाधुंध खनन का प्रभाव हमारे पर्यावरण पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों ही रूपों में पड़ रहा है। खनन के कारण निकलने वाले रेत के कण हवा में उड़ कर वातावरण को प्रदूषित करते हैं। इन सूक्ष्म कणों के हवा में फैलने के कारण इसका असर मानव जीवन पर भी पड़ रहा है, क्योंकि सूक्ष्म कण सांस लेने पर हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं। इससे श्वास तथा फेफड़े संबंधी अनेक बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। खुले वाहनों में रेत भरकर ले जाने के कारण ये कण उड़ कर आंखों में चले जाते हैं, जिससे आंखें जख्मी हो सकती हैं। साथ ही इन वाहनों के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। अवैध खनन के कारण भूगर्भ जल पर भी संकट आ गया है तथा जल प्रदूषित हो रहा है। सरकार को अवैध खनन के कारोबार को रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए ।
कानूनों का पालन सख्ती से हो
देश भर मे अनेक निर्माण कार्यों के चलते बालू रेत की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होने लगी है। इसकी आपूर्ति के लिए नदियों से अंधाधुंध रेत का खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। ये रेत माफिया कानून का मजाक तो उड़ा ही रहे हैं, साथ ही पर्यावरण को भी बड़ी चोट पहुंचा रहे हैं। अंधाधुंध खनन के प्रभाव में नदी तल का क्षरण होना, जलस्तर का कम होना जैसी स्थितियां निर्मित हो रही हैं। नदियों के लगातार घटते जलस्तर, मानव के साथ-साथ जलचरों,वन्यजीवों और जंगलों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। बालू रेत के साथ अन्य कई खनिज पदार्थों के खनन के बाद इन्हें ढोने के लिए लगी सैकड़ों गाडिय़ों की आवाजाही से भी पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
न्यायालयों के आदेशों की पालना जरूरी है
खनन एक बहुत बड़ी समस्या है। इसको रोकना अत्यंत आवश्यक है। खनन के कारण पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। पहाड़ों की सुंदरता खोती जा रही है, अवैध खनन की गतिविधियों को रोका जाना चाहिए। इस संदर्भ में उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय द्वारा भी कई आदेश जारी किए गए हैं, जिसकी पालना सुनिश्चित होनी चाहिए।
पर्यावरण पर दुष्प्रभाव
अंधाधुंध खनन करने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। खनन की प्रक्रिया से हम पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। कुदरत ने जो एक संतुलित वातावरण हमें दिया है, हम उसके संतुलन को खराब कर रहे हैं। इसी असंतुलन के कारण कई जीव और जंतु की प्रजातियां नष्ट हो चुकी है। कुदरत के इस संतुलन के साथ छेड़छाड़ करना हमें बहुत भारी पड़ेगा।
रोकना होगा अवैध खनन
अंधाधुंध खनन का प्रभाव हमारे पर्यावरण पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों ही रूप से पड़ रहा है। खनन के बाद निकाली गई रेत व बालू हवा में उड़कर शुद्ध वायु को दूषित करती है। इसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। सांस के साथ रेत के कण हमारे फेफड़ों में पहुंच कर नई बीमारियों को जन्म देते हंै। नदियों व तालाबों से खनन करके लाई गई रेत का परिवहन खुले वाहनों में किया जाता है, जो हवा के साथ उडकर पर्यावरण को दूषित करती है। अत: प्रशासन को अवैध खनन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए और दोषियों को सख्त सजा देनी चाहिए।
पर्यावरण के लिए घातक है खनन
खुलेआम हो रहा खनन पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। खनन के बाद निकाली गई रेत व बालू हवा में उड़ कर शुद्ध वायु को दूषित कर रही है। इसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ रहा है। सांस के साथ रेत के कण हमारे फेफड़ों में पहुंच रहे हैं। इससे बीमारियां शरीर में घर बना रही हैं। यह मामला इतना अधिक चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है कि हमें इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। अवैध खनन से निपटने के लिए पुलिस व प्रशासन को ठोस कदम उठाने चाहिए।
वन क्षेत्र में कमी
अंधाधुंध खनन करना अपने पांवों पर कुल्हाड़ी मारने के समान है। इससे वन क्षेत्र में कमी होती है। इससे वर्षा भी कम होती है। भविष्य के लिए संसाधन कम होने से प्लास्टिक जैसे पर्यावरण के लिए हानिकारक पदार्थों पर निर्भर होना होगा। वायुमंडल में मिट्टी के कणों की अधिकता प्रदूषण बढ़ाती है।
प्राकृतिक आपदाओं को चुनौती
नदियों से रेत और पत्थर निकाल कर उसकी जैविक निर्मलता का हनन बहुत तेजी से किया जा रहा है। हरे-भरे प्राकृतिक वनों और पर्वतों को भूमाफिया द्वारा रोंदा जा रहा है। इसके बाद भी इंसान को शुद्ध हवा और प्राकृतिक वातावरण चाहिए। अंधाधुंध खनन के जरिए प्राकृतिक आपदाओं को चुनौती दी जा रही है।
बढ़ती हैं बीमारियां
कंपनियां अपने मुनाफे के लिए निर्धारित गहराई से अधिक खनन करती हंै। खानों में सुरंगें बना कर क्षेत्र को खोखला कर देती हैं। खनन की वजह से वृक्ष कटने और उपजाऊ मिट्टी कम होने से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है। इससे अनेक बीमारियां बढ़ती हैं।
मानव अपना हित समझें
अंधाधुंध खनन से पर्यावरण संकट बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग, ग्लेशियरों का पिघलना आदि सब बातें आपस में जुड़ी हुई हैं। तूफान आ रहे हैं, जंगलों में आग लग रही है, मौसम बेकाबू हो रहा है। खनन उन कई गलत गतिविधियों में से एक है, जो इंसान कर रहा है। यह मानव के अपने ही हित में है कि वह इस प्रकार की विनाशक गतिविधियों को तुरंत ही बंद करे। प्रकृति किसी को भी छोड़ती नहीं।
गंभीर बीमारियों को आमंत्रण
अंधाधुंध खनन करने से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। पहाड़ों एवं चट्टानों के साथ हरे-भरे पेड़ पौधे भी काटे जा रहे हैं। रेत उडऩे के कारण वातावरण दूषित हो रहा है। इससे श्वास संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। इसलिए सरकार को अंधाधुंध खनन पर रोक आवश्यक है।
अवैध खनन से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, जिसमे मानव जीवन के साथ-साथ दूसरे जीवों को भी काफी नुकसान हो रहा है। अगर समय सरकार ने सख्त कदम नहीं उठाया तो स्थिति खराब हो सकती है और आने वाली पीढ़ी को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा और इसका सीधा असर पर्यावरण को पड़ेगा।
खतरे में जैव विविधता
अंधाधुंध खनन से वन, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दांव पर लगता है। इससे जैव विविधता पर खतरा बढ़ गया है। खनन से महामारी संक्रमण और प्रदूषण जैसे खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं।
खनन को नियंत्रित करना आवश्यक है
खनन पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इसके बुरे परिणाम सामने आए हैं। प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। नदियों की धारा मार्ग बदल रही है। नई बीमारियां पैदा हो हो रही हैं। जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर ही संकट खड़े हो गए हैं। खनन को नियंत्रित करना आवश्यक हो गया है।
पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव
कानूनी हो या गैरकानूनी दोनों प्रकार की खनन का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जैव विविधता पर भी खतरा बढ़ता रहा है। अतिवृष्टि, बाढ़, भूस्खलन, सूखा आदि प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। खनन प्रक्रिया के दौरान वृक्षों को हटाया जाता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।