दीपक कुमार मिश्रा
बाराबंकी कैल्शियम कार्बाइड से पकाया जा रहा आम, दिमाग को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम करता है एसिटिलीन बाराबंकी, फलों के राजा आम के पकने का सीजन आने में अभी भी तकरीबन पंद्रह दिन का समय बाकी है। लेकिन फिर भी इसके धंधे में लगे लोग आम को समय से पहले ही जहरीला बना रहे हैं। जिले में कार्बाइड से आम पकाने का धंधा रफ़्तार पर है। जो आम के शौकीनों की सेहत पर भारी पड़ सकता है। बाजारों में बिना मौसम पके आम लोगों को काफी आकर्षित कर रहे हैं। बागबानों और फल व्यापारियों के अनुसार आम की खरीद बिक्री भी ठीक चल रही है। कार्बाइड से पके आम का रंग लोगों को लुभा रहा है। लोग धड़ल्ले से आम खरीद रहे हैं।
बता दें कि फल कारोबारी कच्चे आम को कार्बाइड से 30 40 घंटे में पका लेते हैं। इससे आम की आपूर्ति मांग के अनुरूप हो जाती है। जिले में स्थित तमाम गोदामों और बागों में यह काम धड़ल्ले से हो रहा है। यही नहीं कार्बाइड प्रतिबंधित होने के बावजूद फल विक्रेताओं को परचून की दुकानों पर यह आसानी से मिल जाता है। व्यापारी मदन की मानें तो बाजार में आम 80 से 160 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है। आम की अलग-अलग प्रजातियां बाजार में खूब बिक रही हैं। जिसमें दशहरी 80 से 100, आमीन 90, बंबइया 120 और सुर्खी 160 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। दशहरी आम को पकाकर आजमगढ़ गोरखपुर भेजा जा रहा है। जिसमें अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है।
जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेश कुशवाहा का कहना है कि कार्बाइड से आम को पकाना घातक होता है। जिम संचालक और डायटीशियन असद साजिद के मुताबित कैल्शियम कार्बाइड एक बार पानी में घुल जाने पर एसिटिलीन गैस (सी2एच2) और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड का उत्पादन करता है। जो एक कृत्रिम तरीके से आम पकाने का काम करता है। जबकि एसिटिलीन की वजह से दिमाग को ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम हो जाती है। जिससे तंत्रिका तंत्र बुरी तरह प्रभावित होता है। दरियाबाद के सीएचसी अधीक्षक डा. अमित दुबे ने बताया कि बाजारों में आ रहे कार्बाइड से पके आम खाने से एलर्जी के साथ साथ लीवर और पेट की अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
ऐसे पहचानें रसायन से पका आम
आम के बाग के मालिक आलम के मुताबिक आम डाल का पका है या रसायम का, यह आसानी से पता किया जा सकता है। बाजार से आम लेने के बाद पानी से भरे बर्तन में उसे डाल डीजिए। अगर आम तैरने लगे तो समझ जाइए की कार्बाइड की मदद से आम को पकाया गया है। इसके अलावा आम हल्का हरा और झुर्रियों वाला दिखे, तो वह रसायन से पकाया गया आम है। आम पर हल्के हरे पत्तों या धब्बों का निशान भी इस ओर इशारा है कि वह रसायन से पकाया गया है। इसके अलावा आम काटने पर अधकच्चा, कहीं लाल तो कहीं हल्का पीला दिखे तो समझ चाहिए, यह आम आपकी सेहत बिगाड़ देगा।
अभी खाएं खीरा, तरबूज और खरबूजा
पर्यावरणविद अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि अभी आम पकने में कम से कम पन्द्रह दिन और लगेंगे। अभी बाजार में रसायम से जबरदस्ती पकाये हुए आम मिलने लगे हैं, जो खाने में फीके और सेहत के लिये बेहद हानिकारक हैं। अभी कम से कम पंद्रह दिनों तक सीजन के हिसाब से खीरा, तरबूज और खरबूजा खाएं। वह सेहत के लिये भी उपयोगी है और गर्मी से बचाव भी करेगा।