शिव समान दाता नहीं विपत्ति विदारण हार।लज्जा मेरी रखियो बाबा वर्धा के असवार।

बाराबंकी।उत्तर भारत के प्रसिद्ध शिव तीर्थ लोधेश्वर महादेवा के फाल्गुनी मिले में खराब मौसम के कारण दो दिन से हो रही बारिश में भी कांवड़िया नंगे पांव घुंघरू पहनकर अपने कंधे पर दूर दूर से कावड़ लेकर पैदल लोधेश्वर महादेव के दर्शन करने आ रहे हैं। शिव भक्तों की आस्था के आगे बारिश बौनी साबित हो रही है। बता दें लोधेश्वर महादेवा में शिव भक्तों के रुकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। शिव भक्त जलाभिषेक करने के बाद घर वापसी होने के लिए विवश है।सुदूरवर्ती जनपदों जैसे लखनऊ, कानपुर ,उन्नाव ,बिठूर,गोंडा, बहराइच, बलरामपुर , जालौन, रायबरेली ,हरदोई, सीतापुर ,आजमगढ़, बलिया, सुल्तानपुर,अजमेर,से अपने आराध्य को जलाभिषेक करने के लिए कंधे पर कांवर लेकर रास्ते के अनेक कष्टों को सहते हुए भोले शंकर की भक्ति में झूमते गाते हुए हर-हर महादेव बम बम भोले कि ध्वनि के साथ अपनी अपनी टोली के साथ जलाभिषेक के लिए लोधेश्वर महादेव पहुंचते हैं।दो दिन से शिव भक्त कांवड़ियों को इंद्रदेव के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है।कल रात्रि से हो रही बारिश में श्रद्धालु भीग रहे है, फिर भी आस्था के आगे यह समस्या नगण्य नजर आ रही है।रिमझिम फुहारों के बीच कावर्थी श्रद्धालु अपने आराध्य लोधेश्वर महादेव को बिठूर के गंगाजल से जलाभिषेक करने के पश्चात सरयू नदी (घाघरा ) में स्नान कर सरयू नदी का जल लाकर मंदिर गर्भ गृह में चढाने के पश्चात अपनी टोली के साथ अपने महंत को कंधे पर बिठाकर बैंड बाजे की धुन पर नाचते गाते हुए आरती करते हुए मनौती का झंडा मंदिर के गुंबद पर बांधते हैं।यात्रा सकुशल संपन्न होने व अनुष्ठान संपन्न होने के पश्चात मंदिर के उत्तर में अपने सभी साथियों के साथ हवन पूजन कर अपनी यात्रा को सफल बना कर सभी शिवभक्त लईया दाना,लड्डू, पेड़ा, मिठाई आदि का प्रसाद वितरण करते हैं।महादेवा में हर तरफ डीजे पर बज रहे भक्तिमय गाने से पूरा मेला क्षेत्र शिव मय हो गया।श्रद्धालुओं के द्वारा अखंड रामचरितमानस के पाठ व श्रद्धालुओं के लिए भंडारे चल रहे हैं। जिसमें आए हुए तमाम शिव भक्तों ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here