प्रशासन व्यवस्था को मद्देनजर रखते हुए उत्तर प्रदेश में मौजूदा स्थिति वास्तव मे बहुत ही गंभीर और चिंताजनक हैं, जिसमें भ्रष्टाचार, बलात्कार, अत्याचार, हत्याएँ, प्रशासनिक विफलता और जंगल राज जैसे मुद्दे शामिल हैं। यह स्पष्ट है कि जिसको लेकर प्रदेश सरकार और प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाए रहे हैं, खासकर तब जब आम जनता,को जिसमे विशेष रूप से गरीब और लाचार लोग, कथित तौर पर पुलिस और अधिकारियों के उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के द्वारा दावे किए जा रहे है कि प्रशासन व्यवस्था चुस्त दूरस्त है परन्तू दावो के विपरीत, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है।
जैसा कि एक तटस्थ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और जटिल राज्य में शासन व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। यह सच है कि प्रदेश से अत्याचार, भ्रष्टाचार और हिंसा की खबरें समय-समय पर सामने आती रहती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े भी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में अपराध के मामले अन्य राज्यों की तुलना में अधिक दर्ज होते हैं, हालाँकि इसका एक कारण राज्य की विशाल जनसंख्या हवाला देकर दर नजर भी नही किया जा सकता है। इसके बावजूद, संगठित अपराध में कमी के दावे सरकार द्वारा किए जाते हैं, लेकिन आम जनता के बीच मे पुलिस और प्रशासन के प्रति अविश्वास की भावना व्याप्त हो रही है, जिसको कभी भी नकारा नहीं जा सकता है।
जबकि गरीबों और मजलूमों पर अत्याचार महिलाओ से बलात्कार का मुद्दा विशेष रूप से गंभीर है। यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासनिक व्यवस्था वास्तव में कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा करने में विफल हो रही है? कई मामलों में, पुलिस पर पक्षपात, उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, जिससे न्याय व्यवस्था की निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है। मुख्यमंत्री के दावे है कि गुंडे और माफिया प्रदेश छोड़कर भाग गए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अत्याचार और हत्याओं की घटनाएँ जारी हैं, तो यह आम जनता के अनुभव से मेल नहीं खाता है।
उत्तर प्रदेश में अपराध और भ्रष्टाचार की समस्या बहुत गम्भीर बना हुआ है, और इसका समाधान करना भी आसान नहीं है। ऐसे में जब अपराधी खुलेआम घूमते हो,सरेआम महिलाओं से बलात्कार हत्याए अत्याचार हो रहे हो, पत्रकारों और अधिवक्ताओं पर हमले होते हैं, और नाबालिग लड़कों को पुलिस कर्मियों द्वारा मार मार हत्या कर दी जा रही हैं,कार्यवाही मे जांच का पेच फसा कर सिर्फ गुमराह दिया जा रहा है तो ,ऐसे मे प्रशासनिक व्यवस्था को ध्वस्त ही माना जा सकता है? सरकार समर्थक दृष्टिकोण से देखें तो कुछ क्षेत्रों में सुधार के प्रयास दिखते हैं,लेकिन कुछ हाई-प्रोफाइल अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नही हो रही है आखिर क्या ?कारण है।
हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कई कदम उठाए हैं। फिर भी, अगर ये प्रयास आम जनता तक नहीं पहुँच रहा है तो सारे प्रयास बेकार है ऐसे मे सरकार किसी कि भी हो लेकिन जब पुलिस और अधिकारियों के स्तर पर भ्रष्टाचार और अत्याचार जारी है, तो सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
लोगो द्वारा अपने कथन में जंगल राज की बात कही जा रही है, जो एक गंभीर आरोप है। यह शब्द अराजकता और कानून के अभाव की स्थिति को दर्शाता है। अगर प्रदेश के कोने-कोने से ऐसी खबरें आ रही हैं, तो यह जरूरी हो जाता है कि सरकार पारदर्शी तरीके से इन घटनाओं की जाँच करे और दोषियों को सजा दे, ताकि जनता का भरोसा बहाल हो सके।
अंत में, यह कहना उचित होगा कि जनता की चिंताएँ एक गहरे असंतोष को प्रतिबिंबित करती हैं, जो शायद कई लोगों के जिहान में भी हो। समस्या का हल निष्पक्ष जाँच, जवाबदेही और सुधारों में निहित है।