बलवान सिंह
बाराबंकी। उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतों के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले ग्राम पंचायत सदस्यों की पैरवी करते हुए ग्राम पंचायत सदस्य महासभा के प्रदेश अध्यक्ष रवि कुमार सिंह पटेल अधिवक्ता उच्च न्यायालय लखनऊ ने शनिवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री महंत श्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर प्रशासन द्वारा सदस्यों की अनदेखी पर गहरी चिंता जताई है। पत्र में प्रदेश अध्यक्ष श्री सिंह ने लिखा है कि प्रदेश भर की 58194 ग्राम पंचायतों में लगभग 7.50 लाख से अधिक की संख्या ग्राम पंचायत सदस्य हैं। बीते 2022 विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश के मुखिया महन्त श्री योगी आदित्यनाथ ने पंचायतीराज प्रशासन को निर्देशित किया था कि प्रत्येक माह सदस्यों की विकास खण्ड स्तरीय बैठक करवाई जाए और उन्हे प्रति बैठक का 100 रुपए भत्ता यानी वर्ष मे 1200 रुपए भत्ता दिए जाने और सदस्यों के असमायिक निधन पर 02 लाख रुपए बीमा राशि दिए जानें के निर्देश दिए थे।परंतु समूचे प्रदेश में कुछ चंद ग्राम पंचायतों को छोड़कर बाकी की ना तो ग्राम पंचायतों में और ना ही ब्लॉकों में होने वाली बैठकें की जाती हैं। सदस्यों के नाम पर होती है तो सिर्फ खानापूर्ति। जिससे एक बात तो साफ हो जाती है कि सदस्यों के अधिकारों और भत्ते को लेकर प्रशासन के लोग संजीदा नही हैं।
जिससे ग्राम पंचायत से लेकर ब्लॉक तक सदस्यों का शोषण हो रहा है। प्रशासन के लोग एक ओर सदस्यों की अनदेखी कर रहे हैं तो दूसरी ओर प्रदेश के ईमानदार मुखिया के आदेशों को पलीता भी लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। जो अत्यंत निन्दनीय है। जब भी विभाग के किसी संबंधित अधिकारी से इस बावत बात की जाती है तो उक्त मामले की पूरी जानकारी ना होने की बात कहकर टाल देते हैं। जिससे ग्राम पंचायतों के विकास की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। वही आगे प्रदेश अध्यक्ष ने लिखा है कि महासभा बीती 2022 विधानसभा में समूचे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को समर्थन भी किया था। जिसके बाद भी प्रशासनिक लोग सदस्यों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। उक्त मामलों से नाराज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष रवि कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री,प्रमुख सचिव शासन,सभी जनपदों के जिलाधिकारियों व पंचायतीराज अधिकारियों को शिकायती पत्र भेजकर मामले को गंभीरता से लेते हुए सदस्यों को उनके अधिकार दिलाने की मांग की है। फिलहाल महासभा विगत एक दशक से सदस्यों के अधिकारों के लिए संघर्षरत है अब देखना ये होगा उपरोक्त पत्र पर सीएम, डीएम और सचिव कितना गंभीर होते हैं।