पत्रकारिता /-लोकतंत्र का चौथा स्तंभ, यानी पत्रकारिता, तभी सशक्त होता है जब उसकी कलम निष्पक्ष, निर्भीक और सत्य के लिए चलती है। जब पत्रकार की कलम खामोश हो जाती है—चाहे डर, दबाव या स्वार्थ के कारण—तो समाज में अविश्वसनीयता और अव्यवस्था फैलने लगती है।
पत्रकारिता का काम है सच को उजागर करना, जनहित के मुद्दों को सामने लाना और सत्ता को जवाबदेह ठहराना। अगर यह अपनी आवाज खो दे, तो लोग सूचना के अभाव में भटकने लगते हैं, अफवाहें फैलती हैं और विश्वास की कमी गहरा जाती है।
किताब, कलम और पत्रकारिता के महत्व को उजागर करता है और उनके द्वारा निभाई जाने वाली भूमिकाओं को स्पष्ट करता है।
किताब ज्ञान का स्रोत होती है, और उसका मूल्य विचारों को प्रज्वलित करने में है। अगर किताब ज्ञान नहीं देती है, तो वह केवल कागज का बोझ है। किताबें हमें नए विचारों और दृष्टिकोणों से परिचित कराती हैं और हमारी सोच को विस्तारित करती हैं।
कलम की सार्थकता तब है, जब वह सच को उकेरे। अगर कलम को दबाया जाए या वह खामोश रहे, तो उसकी शक्ति नष्ट हो जाती है। कलम का उपयोग समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए किया जा सकता है। यह हमें अपने विचारों को व्यक्त करने और समाज को जागरूक करने का एक शक्तिशाली माध्यम प्रदान करती है।
पत्रकारिता का महत्व तभी है, जब वह जनहित के मुद्दों को निष्पक्षता से उठाए। जब चाटुकारिता और सनसनीखेज खबरें हावी हो जाती हैं, और जनहित के सवाल दबाए जाते हैं, तो पत्रकारिता अपना अस्तित्व खो देती है। पत्रकारिता का काम है सच को उजागर करना, जनहित के मुद्दों को सामने लाना और सत्ता को जवाबदेह ठहराना।
कलम की खामोशी तब और खतरनाक हो जाती है, जब वह दबाव, स्वार्थ या भय के कारण चुप हो। यह समाज के विश्वास को तोड़ती है और लोकतंत्र को कमजोर करती है। जब कलम खामोश होती है, तो समाज में अविश्वसनीयता और अव्यवस्था फैलने लगती है।
हमें यह याद दिलाता है कि किताब, कलम और पत्रकारिता समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनका उद्देश्य समाज को जागरूक करना, सकारात्मक परिवर्तन लाना और जनहित के मुद्दों को उठाना है। अगर ये अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं करते हैं, तो वे अपने दायित्व में विफल हो जाते हैं।
पत्रकार का काम केवल खबर देना नहीं, बल्कि समाज को शिक्षित करना और जागरूक करना भी है, ताकि लोग सूचित निर्णय ले सकें।
जब पत्रकार की कलम इन सिद्धांतों से भटकती है—चाहे वह खामोश हो जाए या चाटुकारिता में लिप्त हो जाए—तो वह अपने धर्म से विमुख हो जाता है। पत्रकार धर्म तभी जीवंत रहता है, जब कलम साहस, सत्य और जनता के साथ खड़ी हो।