मथुरा/बल्देव- ब्रज में चल रही होली के रंंग की मस्ती में सराबोर गोपियों ने ब्रजराज श्रीदाऊजी के विश्वप्रसिद्ध हुरंगा में प्यार के कोड़ों से भांग की तरंग में झूमते हुए ब्रज हुरियारे ग्वालों को पीट-पीटकर आनंदित कर दिया। रंगों की मार खाकर आनन्दित महसूस कर रहे गोपों ने अपने कमंडलों व बाल्टियों से गोपियों के वस्त्र रंगीन कर हुरंगा पर्व की मस्ती बिखेरी। ब्रजराज दाऊजी महाराज के मन्दिर प्रांगण में गुरूवार को हुरंगा का संगीतमय, रंग रंगीलों, मन मोहक दृश्यों ने उपस्थित श्रद्घालुओं के मध्य इन्द्रधनुषी छटा बिखेरी। इन्द्रधनुषी रंगों की बौछार से उत्पन्न फाग, ढप, ढोल, नगाड़े मृदंग, मजीरा आदि से रसिक मन मचल-मचल कर गा उठा। ‘सब जग होरी या जग होरा ब्रजराज की भंग में रंग की तंरग है हुरंगा’। बलराम कुमार होरी खेलों के उद्घोष के साथ ही गोपों ने अपनी-अपनी बाल्टियों में टेसू के रंग को हौदों से भर-भर कर गोपियों पर उड़ेलना शुरू कर दिया, भंग की तरंग में मस्त गोप ब्रजनारियों की भांति कमर मटका-मटका कर और गीत व संगीत के माध्यम से फाग खेलने के लिए उत्तेजित करने लगे।
गोपों की नैन मटक्की और पिचकारी की फुआर से सराबोर गोपियां भी अपने तीखे नयनों से प्रति उत्तर देने लगी कि- ‘ओ रसिया होरी में मेरे लगि जायगी मति मारे द्रगण की चोट’
गोपियों के बिन्दुओं की झंकार और पायलों की कर्ण प्रिय आवाजों से उत्तेजित होकर गोप तेजी के साथ में रंग उड़ेलना शुरू कर देते हैं, और गोपियां भी भंग की तरंग से मद मस्त गोपों को घेरे बना-बनाकर उनके कपड़े फाड़ना प्रारम्भ कर दिया और गोपों के फटे हुए वस्त्रों के पोतने बनाकर टेसू के रंगों में डुबो कर गोपों पर बरसाना शुरू किया।गोपों की नंगी पीठ पर बरसते हुए कोड़े उनकी रंगों की भूख को और बढ़ा दिया।
इसी बीच पांडेय समाज के हुरियारों के मुख से आवाज़ आती है ‘ऐसो रंग बरसो बलराम जो तीन लोक में हुँ नाय’। मंदिर के सेवायत ज्ञानेंद्र पांडेय ने बताया कि 15 कुंतल गुलाल, 10 कुंतल फूल और 4 कट्टे बसंती कलर का प्रयोग हुरंगा में बहुरंगी छटा बिखरने को हुआ।
उन्होंने श्रद्धालुओं के बारे में बताया कि हुरंगा को देखने के लिए पांडेय समाज के यजमान मध्यप्रदेश, राजस्थान, कोलकाता, गुजरात, चेन्नई,आदि प्रदेशों से काफी संख्या में आते हैं। जिनके लिए मंदिर प्रांगण की छत पर उचित व्यवस्था की जाती है।
कोड़ों की मार वीआईपी पर पड़ी
बलदेव में हुरंगा को देखने के लिए बाहर से आए श्रद्धालु कोडों की मार खाने के लिए मंदिर परिसर की छत से हुरंगा प्रांगण में आने को आतुर हो रहे थे। तो हुरंगे में आये वीआईपी भी हुरियारिनों की कोडों की मार से बच नहीं पाये। वह मार से बचने के लिए हुरियारिनों की कोडों की मार से इधर उधर भागते दिखाई दिए।
सपरिवार शामिल हुए अधिकारी
हुरंगा देखने के लिए तो प्रात: से ही भीड उमड रही थी, लेकिन दोपहर को शुरू हुए हुरंगे को देखने के लिए लगभग एक घंटे पहले जनपद व मण्डलों से अधिकारी भी सपरिवार शामिल हुए।
दाऊजी के हुरंगे में देवरों ने रंग डाला तो भाभियों ने बरसाए कोड़े
सब जग होरी जा ब्रज होरा। ब्रज के राजा बलदेव (दाऊजी) के आंगन बलदेव के हुरंगे में भाभी-देवर की अद्भुत होली खेली गई। देवरों ने रंग डाला तो भाभियों ने कपड़ों के कोड़े बरसाए। इस कोड़े की मार में ज्येष्ठ भी नहीं बच सके।
देखने उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
हुरंगा को देखने मंदिर परिसर में जनसैलाब उमड़ पड़ा। होली गीत, रसिया के साथ नफीरी, ढोल की थाप पर हुरियारे, हुरियारिन के साथ आम लोग भी थिरकते रहे। दाऊबाबा मंदिर के दर्शन खुलते ही बलराम व रेवती मैया की जय-जयकार होने लगी। बलदेवजी को होली खेलने का निमंत्रण समाज गायन के माध्यम से बलराम कुमार होली खेले कूं, भैया खेले होरी फाग… से दिया गया।हुरियारे हुरियारिनों पर टेसू के रंग डालने लगे तो हुरियारिनों ने हुरियारों के कपड़े फाड़ दिए। उन पर कपड़ों के कोड़े बरसाना शुरू कर दिया। इस दौरान मंदिर प्रांगण में हुरियारे रेवती व बलदाऊजी जी के अलग अलग झंडे लेकर परिक्रमा करते हुए मत मारे दृगन की चोट रसिया होरी में मेरे लग जायेगी…होली गीत गाने लगे।
रिसीवर की तानाशाही का काले कपड़ों से विरोध
दाऊजी के हुरंगा में परिषदीय शिक्षक रिसीवर रामकटोर पांडेय द्वारा 50 से अधिक बाउंसर को बुलाने पर पांडेय समाज के लोग भड़क उठे और बाउंसरों के जाने के बाद ही हुरंगा की शुरूआत पर अड़े रहे। समाज के लोगों ने काली पट्टी बांधकर रिसीवर की तानाशाही का भारी विरोध किया। इसके बाद महावन क्षेत्राधिकारी ने मामला शांत कराकर बाउंसरों को रवाना किया। जिसके कारण हुरंगा भी देरी से शुरू हुआ।
कुंटलों भांग का लगा भोग
हुरंगा में हुरियारे हुरियारिनों से कोड़ों की मार को सहन करने के लिए भांग का भोग लगाते हैं। इस अवसर पर करीब 20 कुंतल दूध के भांग का भोग लगाया गया। भांग को समाज के लोगों ने प्रसादी के तौर पर ग्रहण किया।