विकास के दावों की पोल खोल रही ब्लॉक क्षेत्र की जर्जर सड़कें
2024 लोकसभा चुनाव में जनप्रतिनिधियों को उठाना पड़ेगा जनता के सवालों का बोझ
2024 लोकसभा चुनाव की मुश्किल भरी होगी राह
✍️असोथर फतेहपुर
विकास की गंगा बहाने वाली भाजपा सरकार के विकास की गंगा इस तरह बही कि वह विकास अब रास्तों में दलदल बनकर बह रहा है और उसी विकास पर फंसकर राहगीर परेशान हो रहे हैं और सरकार के जिम्मेदार हर गांव को पक्की सड़क से जोड़ने का दावा ठोक रहे हैं ।
आपको बता दें कि असोथर विकासखंड क्षेत्र की अति जर्जर सड़कें जिला मुख्यालय से जोड़ने की कवायद में शुरू हुई सड़क थरियांव से असोथर ब्लॉक मुख्यालय का लगभग 500 मीटर, लाखों का राजस्व देने वाली सड़क असोथर से रामनगर कौहन – जरौली संपर्क मार्ग जिसकी दूरी लगभग 8 किलो मीटर, खदानों से ओवरलोड वाहनों के निकलने के कारण 2 वर्षों से खस्ताहाल बनी हुई है। हिनौता राज्य मार्ग का दर्जा प्राप्त गाजीपुर से विजयीपुर 33 किलो मीटर सड़क अति खस्ताहाल होने से आए दिन राहगीर कीचड़युक्त और गड्ढायुक्त रास्ते में गिरकर चुटहिल हो रहें हैं। गाजीपुर विजयीपुर मार्ग से लिंक मार्ग बेसड़ी – ऐझी कोटवा (जरौली पंप कैनाल) को जोड़ने वाला लगभग 6 किलो मीटर तक जर्जर मार्ग पड़ा है। गाजीपुर विजयीपुर मार्ग से लिंक मार्ग प्रेममऊ कटरा -रिठवां तक लगभग 8 किलो मीटर जर्जर सड़क है।
असोथर ब्लॉक क्षेत्र की अति आवश्यक खस्ताहाल सड़कों के अलावा कई अन्य ग्राम पंचायत में आज भी कई जगह दलदल भरे रास्तों को लेकर ग्रामीणों की समस्या का समाधान नहीं हो सका है। जबकि भाजपा सरकार मे विकास की बात करते-करते बीत गए। ज्ञात हो कि असोथर विकासखंड की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत सरकंडी में यहां करीब 210 मजरे हैं, पर आज इस ग्राम पंचायत में ही कई ऐसे गांव हैं। जहां आने जाने के लिए कोई पक्का मार्ग नहीं है। इसमें से एक है सरकंडी ग्राम सभा के मजरे छकना का डेरा गांव हैं। जहां पर प्राथमिक विद्यालय जाने के लिए केवल कच्चा मार्ग है। जो कि बरसात के मौसम में निकलना दूभर हो जाता हैं, पर ना तो उस गांव को जाने के लिए कोई पक्का मार्ग है और ना ही उस विद्यालय में जाने के लिए किसी पक्के मार्ग का निर्माण कराया गया है। जिससे आज भी बरसात के मौसम में उस गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो सरकारी एंबुलेंस तक गांव में नहीं पहुंच पाती और ना ही इसी तरह असोथर नगर पंचायत के फटी बरगदी में बने प्राथमिक विद्यालय में नौनिहाल शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंच पाते हैं। पूर्व में जबकि जनपद की सभी विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा रह चुका है। पूर्व में जनपद से तीन विधायक मंत्री भी बन चुके हैं। जनपद में एक लोकसभा सीट उस पर भी वर्तमान सरकार भाजपा का कब्जा है। फिलहाल जनपद से चार विधायक होने के बावजूद भी रास्तों की हालत खस्ता है।
वहीं सबसे बड़ी हैरान करने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी विधानसभा में साल में करोड़ों रुपया खर्च करने वाली सरकार क्या कभी जिम्मेदारों से लेखा-जोखा नहीं लेती या फिर कभी कोई प्रतिनिधि इन गांव में जनता से मिलने नहीं जाता या फिर यह कहें कि यह सब जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते हो रहा है।
लोगों का मानना है कि 2024 लोकसभा में इसका खामियाजा जनप्रतिनिधियों को उठाना पड़ सकता है। इस तरह से देखा जाए तो भाजपा के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव की राह आसान नहीं होगी।
क्या यही है सबका साथ सबका विकास वाली भाजपा सरकार???..