गिरफ़्तारी पर लगाई रोक
–पत्रकार अमज़द खान के विरुद्ध पुलिस ने दर्ज किया था मुकदमा
–उच्च न्यायालय में रिट दाखिल कर मांगी थी राहत
फतेहपुर। पत्रकार और आर.टी.आई एक्टिविस्ट अमज़द खान को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उनकी रिट का निस्तारण करते हुए उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि 7 साल तक या उससे कम सजा के मामलों में जारी गाइडलाइंस का अनुपालन किया जाए।
16 जून को न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी व आशुतोष श्रीवास्तव ने अमज़द खान की क्रिमिनल मिसलेनियस रिट पर सुनवाई करते हुए याची के वकील एजाज अहमद खान की दलीलों को सुना और तलब किए गए विवेचना अधिकारी से भी पक्ष जाना। कोई संतोषजनक साक्ष्य प्रस्तुत न कर पाने पर हाईकोर्ट ने असंतोष भी व्यक्त किया और अपने आदेश में कहा कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा विमल कुमार आदि बनाम उत्तर प्रदेश सरकार आदि में 28/1/2021 में पारित आदेश और जारी गाइडलाइंस के मुताबिक ही प्रकरण पर विवेचना करें।
जिसमें 7 साल या उससे कम अवधि की सजा वाले मामलों में पुलिस द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की बाबत गाइडलाइंस जारी हुई थीं! मालूम हो कि रमजान माह के दरमियान किसी शरारती तत्व द्वारा ईदगाह बिन्दकी के गेट पर ॐ शब्द लिख दिया गया था! जिसे बाद में मिटा भी दिया गया था। अमज़द खान ने इस खबर को प्रकाशित किया था! और कुछ ट्वीट भी किए थे। जिस पर तत्कालीन कस्बा इंचार्ज सुमित देव पाण्डेय ने अमज़द खान के विरुद्ध 153 ए, 295 ए और 505 ए आई.पी.सी के तहत मुकदमा पंजीकृत कराया था! जो विवेचनाधीन है।इस मामले में अमज़द खान का कहना था कि उन्होंने शासन और प्रशासन को शरारती तत्वों की साजिशों से सावधान करने की गरज से और नगर की परम्परागत सद्भावना को अक्षुण रखने के लिए समाचार प्रकाशित किया था !कोई दुर्भावना नहीं थी। तत्कालीन कस्बा इंचार्ज पहले प्रकाशित हुए कुछ समाचारों को लेकर कुपित थे! उन्होंने शरारती तत्व को न तलाश करने की जगह उन पर ही आरोप लगाने की कोशिश के तहत मुकदमा पंजीकृत कराया था।