बस्ती। जनपद बस्ती के नगर क्षेत्र से एक अनोखी घटना निकलकर सामने आयी है जिसको लेकर शब्दों के इस्तेमाल से क्रियान्वित हककीत बंया करना सम्भव ही नही है बल्कि असम्भव है,नगर फूलवरिया पाडे़ के क्षेत्रीय लेखपाल महेन्द्र कुमार ने तथ्यों को छिपाकर फर्जी दस्तावेजों के अधार पर पूर्व के आदेश को निरस्त कर दिया,और कुछ गवाह के गवाही के आधार पर लेखपाल महेन्द्र कुमार और तहसीलदार द्वारा नये आदेश जारी कर दिया गया है, जिसको लेकर पीड़िता द्वारा बताया गया कि जो लोग गवाह बने हुये उनकी दिनचर्या ही लोगो के लिये गवाह बनना हैं और दलाली करना है,जबकि लेखपाल महेन्द्र कुमार द्वारा बिना जाँच परख के ही गवाहो के अधार पर वरासत के वसियत को निरस्त कर दिया गया है ,और लेखपाल द्वारा ही जानबूझकर षडयंत्र के तहत खेल,खेला जा रहा है,लेखपाल -महेन्द्र कुमार द्वारा पीडिता, एंव अन्य दो लोगो का नाम संलिप्त करते हुये नये आदेश जारी कर दिया गया है,और पक्ष विपक्ष दोनो से धन उगाही करने का हल्का लेखपाल महेन्द्र कुमार कि द्वारा एक सोची समझी रणनीति के तहत योजना बनायी गयी थी, परन्तु एक ही झटके मे लाखों का खेल धराशाही हो गया,अगर वक्त पर जररूरत के कागज पीडिता के पास ठोस रुप से नही होते तो हल्का लेखपाल महेन्द्र कुमार लाखो रुपये कमाने मे कामयाब हो गया होता जबकि आरोप है कि महेन्द्र कुमार लेखपाल द्वारा बहुत ही कम समय मे आय से अधिक सम्पति अर्जित करने मे सफल हो गया है जिसको लेकर पीडिता द्वारा अपने बयानो बताया गया कि लेखपाल महेन्दर कुमार ऐसे ही मामला मे पहले पेच फसाता है और फिर पक्ष विपक्ष दोनो से लाखो रुपये कि फिरोती करता है,और इतना ही नही बल्कि लेखपाल महेन्द्र कुमार से कुछ ऐसे लोग जूडे हुये है कि,जिसको जरूरत पडने पर समय समय पर इस्तेमाल करता रहता है गवाह बनाकर लोगो को पीडित करके रूपया कमाता है और गवाह बनाकर कमवाता रहता है,
सूत्रो से मिली जानकारी अनुसार महेन्द्र कुमार लेखपाल बहुत कम समय इतना धन अर्जित तो कर लिया है और वी-मार्ट,माल एंव कोचिंग सेन्टरो जैसे लाखो का संचालन भी करता है जबकि आर्थिक सैलरी कि अनुपात मे एक लेखपाल और सचिव के घर का खर्च आने जाने एंव रुम खर्च को इकट्ठा किया जाये,तो सम्भव नही है कि लेखपाल के कमाई के अनुसार सैलरी से बड़ी बड़ी गाड़िया का मालिक बनना, एक मामुली से लेखपाल के लिये सम्भव नही हो पायेगा और लेखपाल महेन्दर कुमार खुद को ही संदेह के घेरे मे लाने का कर चूके है और लेखपाल महेन्दर कुमार द्वारा इतना धन कहा से और कैसे इकट्ठा कर लिया गया है,जबकि मानक वेतन के अनुसार व्यक्ति का खर्चा निकाला जाये तो दूध का दूध और पानी अलग होकर नजर आ जायेगा
सरकार ने सरकारी लेखपाल कर्मचारीयों के लेकर क्या छूट दे रखी हुयी जिसको लेकर लेखपालो द्वारा लोगो को इस तरह से परेशान किया जा रहा हैं, मजबूर करके मजबूरियो का फायदा उठाकर चन्द सिक्को के लिये खेल खेला जा रहा है क्या दायित्वो का इस तरह निर्वहन करना ही उचित एंव सम्वैधानिक है ,जब इसकी जानकारी लेने के लिये सम्बन्धित लेखपाल से सम्पर्क किया उनके द्वारा काल रिसीव नही किया गया