संविधान रक्षक जिला संवाददाता उमेश तिवारी
बाराबंकी महाकुंभ सामाजिक समरसता का अनूठा उदाहरण है।श्रीराम आज सामाजिक समरसता के प्रतिबिंब हैं।भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र वर्तमान कलियुग में भी प्रासंगिक है। श्रीराम ने जीवन के सबसे कष्टमयी कालखंड में अपने सहयोगी और सलाहकार वनवासियों को ही बनाया जिनमें केवट,निषाद,कोल,भील,किरात और भालू सम्मलित रहे उक्त बातें विश्व हिन्दू परिषद जिला मंत्री राहुल कुमार ने बंकी नगर पंचायत के ओम नगर में स्थित शक्ति माता मंदिर पर विहिप द्वारा आयोजित सामाजिक समरसता कार्यक्रम में कही। यदि श्रीराम चाहते तो अयोध्या या जनकपुर से सहायता ले सकते थे। उनके साथी वह जन बने, जिन्हें आज कुछ लोग आदिवासी,दलित,पिछड़ा या अति-पिछड़ा कहते हैं। इन सभी को श्रीराम ने ‘सखा’ कहकर संबोधित किया,तो वनवासी हनुमान को लक्ष्मण से अधिक प्रिय बताया था।जिला कार्याध्यक्ष /प्रखंड पालक रामनाथ मौर्य ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने सबरी के जूठे बेर खाए। वाल्मीकि समाज के हिंदू भाइयों ने मुस्लिम आक्रांताओं के डर भय से मैला उठाने तो स्वीकार किया लेकिन हिंदू धर्म से मुस्लिम धर्म स्वीकार नहीं किया। वाल्मीकि समाज के हिंदू भाई वास्तव में धर्म योद्धा हैं।
आज अनेक राजनैतिक हिंदू समाज को विभाजित करके बांटने के भयंकर षड्यंत्र में लगे हुए हैं। यह राजनैतिक शक्तियां देश में अराजकता और हिंदू मानबिंदुओं को आघात पहुंचाने के उद्देश्य से एकत्रित होकर कालनेमि राक्षस के रूप में हिंदू समाज को दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रही हैं। सामाजिक समरसता कार्यक्रम के पूर्व बंकी नगर पंचायत के दो दर्जन से अधिक वंचित भाई बहनों को ठंड से बचने के लिए बंकी प्रखंड के कार्यकर्ताओं ने कंबल वितरित किया। इस अवसर पर प्रखंड अध्यक्ष चंद्रशेखर उपाध्याय जिला सामाजिक समरसता प्रमुख मनीष कनौजिया प्रखंड मंत्री रामसजीवन यादव प्रखंड संयोजक रितेश सभासद उपेंद्र प्रखंड सत्संग प्रमुख शिवकुमार राय प्रखंड धर्म प्रसार प्रमुख कृष्ण कुमार,श्रीराम जानकी मंदिर के महंत विनोद,खंड अध्यक्ष विनय सिंह शिव शंकर तिवारी प्रखंड उपाध्यक्ष रामेश्वर सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।