बस्ती। माह अक्टूबर के पश्चात् माह नवम्बर, दिसम्बर, जनवरी में अत्यधिक ठण्ड, शीतलहर एवं घने कोहरे की सम्भावना के दृष्टिगत इससे होने वाली समस्याओं के न्यूनीकरण हेतु आवश्यक प्रयास किये जायें।
उक्त निर्देश देते हुए अपर जिलाधिकारी प्रतिपाल चौहान ने बताया कि ठण्ड, शीत लहर एवं घने कोहरे से बचाव हेतु सड़क, पानी, विद्युत, यातायात, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सम्बन्धी, शैक्षणिक संस्थानों, बाल एवं वृद्धा आश्रम के प्रति विशेष सतर्क दृष्टि रखे जाने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि सड़को में बने गढ़ढों का मरम्मत कार्य, डिवाइडर की मरम्मत एवं मानक अनुसार उनका रंग रोगन प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करा लिये जायें। ऐसे संवेदनशील स्थल, जहाँ प्रायः दुर्घटनाएं घटित होती हैं को चिन्हित कर दुर्घटना अवरोधक,रक्षात्मक कार्य ससमय पूर्ण करा लिये जाये।
उन्होने कहा कि रोड लाइट एवं शहर के वार्डो में लगे रोड लाइट पोल जो खराब व क्षतिग्रस्त हैं, उन्हें शीघ्र ठीक करा लिये जाये। साथ ही साथ निर्धारित समयानुसार उनके चालू व बन्द होने का कार्य सुनिश्चित किये जाएं। वाहनों पर रेडियम स्टीकर लगवाये जाय, जिससे कि वाहनों के मध्य उचित दूरी बनी रहे तथा दुर्घटनाओ को न्यून किया जा सके।
उन्होने कहा कि शासन के निर्देशानुसार महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलाने के स्थल चिन्हित कर ली जाय। स्वैच्छिक संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओ से अपेक्षित सहयोग प्राप्त करके महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलवाने तथा निराश्रितों को कम्बल वितरण में सहयोग प्रदान करें। इस हेतु सभी नायब तहसीलदार,राजस्व निरीक्षक, लेखपाल को अवगत करा दिये जाय। जिला विद्यालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं आपदा विशेषज्ञ के माध्यम से ठण्ड से बचाव एवं रोकथाम हेतु आवश्यक सुझाव दिये जाने तथा खान पान के संबंध में जानकारिया दी जाय।
उन्होने कहा कि शीत लहर के कारण आम जन को अनेक प्रकार की बीमारियां होने की सम्भावना बढ़ जाती है, विशेषकर सर्दी-जुकाम, बुखार, पेट सम्बन्धी बीमारियां आदि के बचाव हेतु जनपद के समस्त पी०एच०सी०,सी०एच०सी० तथा जिला मुख्यालय पर स्थित चिकित्सालयों में पर्याप्त मात्रा में दवाएं एवं बचाव उपकरण की उपलब्धता सुनिश्चित की जाय।
उन्होने कहा कि प्रायः ग्रामीण अंचल में ग्रामीणों द्वारा जलाये जाने या अलाव को ठीक ढंग से न बुझाने के कारण अग्निकाण्ड की घटनायें प्रायः घटित हो जाती है। उक्त के दृष्टिगत अग्निशमन विभाग द्वारा मुख्यालय एवं तहसीलों में स्थापित उप केन्द्रों को आवश्यक संसाधनों सहित 24 घण्टे क्रियाशील रखा जाय। ग्रामीण स्तर पर क्षेत्रीय लेखपाल, ग्राम प्रधान को अग्नि से बचाव हेतु लोगो को जागरूक किया जाय। शीत लहर में प्रायः पशुओं में अनेको प्रकार की बीमारियां हो जाती है उनके रोकथाम हेतु मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के अधीनस्थ चिकित्सकों को दिशा निर्देश दिया जाय कि बीमार पशुओं की प्राथमिकता के आधार पर इलाज एवं आवश्यक परामर्श दिये जाय। साथ ही आवश्यकतानुसार शासकीय गौशालाओं पर भी चारा व बीमारी रोकथाम के लिये समय पूर्व आवश्यक प्रबन्ध कर लिये जाय।

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