बस्ती। मुंडेरवा थाना क्षेत्र में सन् 2013 में एक प्राथमिकी दर्ज हुई थी जिसमें एक महिला ने अपने 9 वर्ष के लड़के के स्कूल से अपरहण तथा फिरौती के संदर्भ में दर्ज कराया गया था। जिस पर मुंडेरवा पुलिस ने आईपीसी की धारा 304 ए तथा 120 बी में प्राथमिकी दर्ज किया गया था। लेकिन बस्ती न्यायालय ने आईपीसी की धारा 364 ए तथा 120 बी में आरोप विरचित किया था। पुलिस की विवेचना में घटना का खुलासा हुआ जिसमें पता चला कि जेठानी ने ही अपने देवरानी के बच्चे के अपरहण तथा 3 लाख फिरौती की साज़िश रची गई थी। इसमें जेठानी के साथ दो अन्य लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। देवरानी तथा जेठानी में ईट के भट्टे की आय को लेकर आपस में विवाद चल रहा था।
अभियुक्त हरेंद्र को पुलिस ने अंबेडकर नगर से गिरफ्तार किया था। घटना की मुख्य आरोपी जेठानी तथा एक अन्य आरोपी था। जो बच्चे को स्कूल से अपने मोटरसाइकिल पर बैठाकर लेकर गया था, यह कहकर की तुम्हारे मम्मी ने घर बुलाया है बच्चा पहले से ही उस आरोपी को जानता पहचानता था। अभियुक्त हरेंद्र के अधिवक्ता रमन पांडेय ने उच्च न्यायालय को ट्रायल के दौरान हुए गवाहों के बयानों तथा अपहरण के दौरान अभियुक्तों की भूमिका के बारे में उच्च न्यायालय को बताया गया। 6 अगस्त 2024 अधिवक्ता रमन पांडेय के बहस को सुनते हुए माननीय न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान तथा माननीय न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इद्रीसी की पीठ ने अभियुक्त हरेंद्र को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया। जुर्माना की राशि को भी आधा कर दिया गया। अभियुक्त हरेंद्र द्वारा आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण जेल प्राधिकरण द्वारा जेल अपील दाखिल किया गया था। लेकिन मुकदमे की पैरवी नहीं हो पा रही थी। जिस पर हरेंद्र के माता-पिता ने जुलाई 2024 में अधिवक्ता रमन पांडेय से हरेंद्र की पैरवी करने की अपील की थी। जिस पर अधिवक्ता ने उनके मुकदमे की पैरवी का भरोसा दिया गया था। हरेंद्र के जमानत मिलने पर उनके बुजुर्ग माता-पिता ने अधिवक्ता रमन पांडेय का आभार प्रकट किया।