दीपक कुमार मिश्रा
बाराबंकी में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। गांवों में तैनात सफाईकर्मी ग्राम प्रधानों व सचिवों की मिलीभगत से काम में रुचि नहीं ले रहे हैं। ऐसे में गांवों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। वहीं, गांवों में दम तोड़ रहे स्वच्छ भारत मिशन अभियान के कारण अब ग्रामीणों को संक्रामक रोगों का खतरा भी सताने लगा है। ऐसा ही कुछ सिरौलीगौसपुर विकास क्षेत्र के ओ डी एफ प्लस चयनित ग्राम सैदनपुर में देखने को मिला। यहां नाली की सफाई न होने से हल्की बरसात में ही ग्रामीणों की मुसीबत बढ़ जाती है।
नालियां चोक होने के कारण बरसात का पानी गांव से बाहर नहीं निकल पाता है। वहीं, लोगों के घरों का पानी भी गांव की गलियों में ही फैलता रहता है। ऐसे में वहां कीचड़ व जलभराव के कारण जहां नालियों का पानी काला पड़ गया है वहीं दुर्गंध के कारण संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी है। बरसात का समय हैं हल्की बारिश में नालियों का गंदा पानी रास्तों पर आ जाता हैं सबसे अधिक खतरा बना रहता हैं प्रधान के साथ अधिकारी भी सैन की नींद सो रहे हैं ग्रामीणों को इस बात की चिंता सता रही कि बरसात में काई तरह के वायरस छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग इसकी चपेट में आ रहें हैं जब ग्रामीणों से पूछा गया तो ग्रामीणों ने जो बयां किया उसपर यकीन नही हुआ लगभग तीन साल से ग्राम प्रधान अपनी पंचायत देखने तक नही पहुचें फिर गांव का विकास कहां से हो जिस उम्मीद से गांव की जनता ने एक जागरूक पढा लिखा प्रधान चुना जिसके बावजूद गांव, गांव बन कर रह गया ग्रामीणों ने गम्भीर आरोप लगाते हुए का कि जिस गांव का मुखिया चैन की नींद सो रहा हो उस पंचायत का विकास कैसे होगा। तीन साल से ग्राम पंचायत से खराब नल अपनी बदहाली पर रो रहे गन्दगी से भरी नाली सरकार के स्वच्छ भारत मिशन की धज्जिया उडा रही हैं केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों को स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया था लेकिन स्मार्ट सिटी तो दूर की बात हैं गांव-देहात में सफाई तक नही होती यूपी के सभी जिलो के पंचायतों में कूड़ेदान और कचरा गाड़ी के साथ सफाई कर्मी भी नियुक्त किया गया हैं फिर भी गाँवों में फैली गन्दगी के बीच बच्चों का भविष्य सुध लेने वाला कोई नही। कोई प्रधान के खिलाफ बोलना नही चहता क्योंकि जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता हैं उसपर ग्राम प्रधान दरा धमकाकर चुप करा देता