बाराबंकी ये भीषण गर्मी सबके लिए जानलेवा हैं लेकिन जो लोग किसी कार्यालय, दुकान या ऐसे ही स्थाई स्थानों पर कार्यरत हैं उनके लिए तो कुछ हद तक ठीक भी है लेकिन हमारे सम्मानित पत्रकार भाइयों के लिए तो बहुत ही कठिन है क्योंकि पत्रकार बंधुओं को तो दिन भर इसी आग बरसते माहौल में ही कार्य करना पड़ता है क्योंकि कबरेज़ के लिए कब कहाँ जाना पड़ जाए इसका कोई ठिकाना नहीं होता है ..
ऐसे में मेरे कुछ सुझाव शायद आपके लिए कारगर सिद्ध हो सकते हैं और आपको मौसम की मार से बचा सकते हैं।

लू लगने से मृत्यु क्यों होती है?
दिल्ली से आंध्रप्रदेश तक…. सैकड़ो लोग लू लगने से मर रहे हैं।

हम सभी आवश्यक कार्यों के चलते धूप में घूमते फिरते है, फिर कुछ लोगो की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है? कभी अपने सोचा है ?

👉 हम सम तापमापी जीव हैं हमारे शरीर का सामान्य तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस यानी कि 98.6° फॉरेनहाइट होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से सामान्यरूप से काम कर पाते है।

👉 हमारा शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर का तापमान 37° सेल्सियस यानी कि 98.6° फॉरेनहाइट टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते रहने से हमारा शरीर गीला बना रहता है और वायु के सानिध्य में आने से ठंढा बना रहता है इसीलिए पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है ताकि शरीर के तापमान को नियंत्रित किया जा सके।

👉 पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, खून को छानकर शरीर पेशाब निकालता है जिससे शरीर की अवांछित गर्मी को को बाहर निकाला जाता है जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर पेशाब व पसीने के रूप में शरीर पानी बाहर निकालना बंद कर देता है।

👉 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री सेल्शियस के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री सेल्सियस यानी कि 98.6° फॉरेनहाइट से ऊपर पहुँचने लगता है।

👉 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है, तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन गर्म होकर पकने लगता है (जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है) यह हृदयाघात का कारण बन सकता है।

👉 इस दौरान स्नायु भी कड़क होने लगते है और इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।

👉 शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है। महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन) तक ब्लड की सप्लाई रुक जाती है।

👉 दिमाग के लिए रक्तसंचार न होने की स्थिति में व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक-एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है।

👉 गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोडा थोडा पानी / नींबू पानी या पेय पदार्थ पीते रहना चाहिए, जिससे हमारे शरीर का तापमान 37° सेल्सियस यानी कि 98.6° फॉरेनहाइट टेम्प्रेचर मेन्टेन किस तरह रह पायेगा, इस ओर ध्यान देना चाहिए।
Equinox phenomenon: इक्विनॉक्स प्रभाव अगले 5 -7 दिनों मे एशिया के अधिकतर भूभाग को प्रभावित करेगा।

👉 कृपया 12 से 3 बजे के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर ही रहने का प्रयास करें।

👉 कड़ी धूप से बचाव हेतु सिर पर सूती कपड़ा बांधे।

👉 तापमान 40 डिग्री के आस पास विचलन की अवस्था मे रहेगा।

👉 यह परिवर्तन शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्याताप की स्थिति उत्पन्न कर देगा।

👉 (ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है)

👉 कृपया स्वयं को अपने परिवार को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें। इसके लिए आवश्यक सलाह दें ताकि आपके अपने मौसम की मार से सुरक्षित रह सकें।

👉 किसी भी अवस्था मे कम से कम तीन से चार लीटर पानी अवश्य पियें। किडनी की बीमारी वाले अपने डॉक्टर के सलाह के अनुसार पानी का सेवन करें और निर्धारित मात्रा में पानी जरूर लें।

👉 जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।

👉 ताज़े ठंडे पानी से नहाएं। मांस का प्रयोग छोड़ें या कम से कम करें।

👉 फल और हरी सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।

👉 हीट वेव जानलेवा है कोई मजाक नही है इसे गंभीरता से लें ।

👉 एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।

👉 शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रखकर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।

👉 अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें……….–

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