अरविंद केजरीवाल जेल से 21 दिन के लिए बाहर निकले और पहले ही दिन 21 मिनट में ऐसा भाषण दिया कि पूरे देश में एक नया विमर्श खड़ा कर दिया है। सर्वविदित है कि आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही विपक्ष की टीम में इकलौत ऐसे नेता है जो मोदी को मोदी की श्ौली में ही जवाब देते हैं। जिस तरह पीएम मोदी को पता होता है कि किस तरह मीडिया की सुर्खियां बनना है उसी तरह केजरीवाल को भी मीडिया की हेडलाइन बनने की कला बहुत सलीके से आती है। अरविंद केजरीवाल ने अंतरिम जमानत पर आने के बाद जिस तरह से पीएम मोदी पर हमला बोला उसके क्या मायने हैं यह तो 4 जून को ही पता चलेगा। लेकिन उन्होंने ऐसा भाषण दिया कि भाजपा के लिए यह सांप और छछूंदर वाली कहानी हो गयी है। हालांकि उन्होंने वही भाषण दिया जो पब्लिक डोमेन में है और इस सबकी चर्चा पब्लिक के बीच होती रही है कि ‘पीएम मोदी 2०25 में हट जायेंगे और किसी को कुर्सी सौपेंगे’, ‘यूपी मंे ज्यादा सीटें मिलीं तो सीएम योगी को हटाया जायेगा क्योंकि योगी की अमित शाह से 36 का आंकड़ा हैं’। इस तरह की चर्चाएं आपको चाय व पान की दुकानों पर आमतौर पर सुनने को मिल जायेंगी। लेकिन केजरीवाल ने इन्हंे मंच से उठाकर इन स्विंग बाल पर ख्ोलने का प्रयास किया। वह खुद नहीं जानते कि इसका कितना असर होगा। हो सकता है कि दो दिन बाद यह खबर कचरे में हो लेकिन आज केजरीवाल मीडिया पर छाये हैं और अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी को उनका जवाब देना पड़ा है, इसी से लगता है कि भाजपा इस पर गंभीर है।
केजरीवाल का यह कहना कि 17 सितंबर 2०25 को पीएम मोदी 75 साल के हो जायेंगे और वह अपनी कुर्सी अमित शाह को सौंप देंगे तो मोदी की गारंटी कैसे पूरी होगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि यूपी में अधिक सीटें मिलने पर मुख्यमंत्री योगी को हटा दिया जायेगा। यह दोनों बयान आगामी पांच चरणों के चुनाव मंे असर भी दिखा सकते हैं क्योंकि अभी लगभग आधा चुनाव बाकी है तो योगी को कुछ नया बोलना था ताकि जनता उनको सुने, उन्होंने वही किया है। दिलचस्प यह है कि अमित शाह का जवाब देना कि भाजपा के संविधान में ऐसा नहीं है कि 75 साल होने पर कुर्सी छोड़नी पड़े, यह वाकई गंभीर बयान है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं है तो फिर 75 साल की उम्र पूरा होने पर मध्य प्रदेश के दो मंत्रियों बाबूलाल गौर और सरताज सिह को क्यों मंत्री पद से हटाया गया। मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद रही नजमा हेपतुल्ला को 75 वर्ष की आयु पार करने के बाद केन्द्रीय मंत्री के पद से हटाकर मणीपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन और यशवंत सिन्हा जैसे दिग्गज नेताओं को रिटायर होना पड़ा । क्या नियम-कानून सिर्फ अन्य नेताओं के लिए हैं, पीएम मोदी उनसे अछूते हैं। क्या पीएम मोदी के अलावा भाजपा के पास कोई चेहरा नहीं है। जो सवाल भाजपा विपक्ष से पूछती है अब लोग वही सवाल भाजपा से पूछ रहे हैं कि मोदी के बाद कौन ? फिलहाल भाजपा इसमें घिरी हुई नजर आ रही है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। गिरफ्तारी के 5० दिन बाद केजरीवाल बाहर आ गए हैं। केजरीवाल की रिहाई से आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार को कितना फायदा हो सकता है? यह तो वक्त बतायेगा लेकिन जिस तरह से वह हमले कर रहे हैं उससे साफ है कि उनकी पार्टी के उम्मीदवारों का मनोबल जरूर बढ़ा है। केजरीवाल के बाहर आने के बाद भाजपा को दिल्ली में जरूर चुनौती मिलेगी। पंजाब से भाजपा को ज्यादा उम्मीद नहीं है। वहीं, गुजरात में पहले ही मतदान हो चुका है। जबकि हरियाणा में आम आदमी पार्टी केवल एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। ऐसे में सबसे ज्यादा असर दिल्ली में ही पड़ेगा। हालांकि, 2०19 में दिल्ली की सातों सीट पर भाजपा को 5० फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। ऐसे में केजरीवाल के प्रचार से नतीजा बदल ही जाएगा, यह भी अभी से नहीं कहा जा सकता। जिस वक्त यह केस शुरू हुआ था, उस वक्त दो तरफ से इसका विरोध हो रहा था। एक ईडी की तरफ से, दूसरा सत्तापक्ष की तरफ से, अदालत के बाहर भाजपा मुखर रूप से उनकी जमानत का विरोध कर रही थी। अदालत के फैसले के बाद सत्ता पक्ष के समर्थकों की टिप्पणियों से लगता है कि केजरीवाल को राहत मिलने से विचलन तो है। अरविद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं, पार्टी के स्टार कैंपेनर हैं। ऐसे में उनके बाहर आने से आप का मनोबल बढ़ेगा। जहां तक विपक्षी गठबंधन के पोस्टर ब्वॉय होने की बात है तो इस गठबंधन के कई पोस्टर ब्वॉय हैं। इसमें राहुल गांधी, अखिलेश यादव, एमके स्टालिन जैसे नेता हैं, तो उस सूची में केजरीवाल भी शामिल हैं। एक तरह से अवधारणा निर्माण में फायदा होगा। यह वोट में कितना तब्दील होगा यह तो 4 जून को ही पता चलेगा।

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