चैत्र नवरात्रि विशेष –

बाराबंकी देवी की आराधना का पावन और पवित्र पर्व मंगलवार 9 से 17 अप्रेल तक हर्षोल्लास से मनाया जायेगा। इस बार मंगलकारी रेवती – अश्वनी नक्षत्र के साथ सर्वार्थ और अमृत सिद्धि योग में जगत जननी जगदम्बा माँ घोड़े पर सवार होकर पृथ्वीलोक पर आ रही हैं। इस दौरान कई विशेष लाभकारी और मंगलकारी योग बनेगें। इन योग को उपासना का अक्षय फल देने वाला बताया गया हैं। इस अवसर पर महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए व्रत रखकर 108 संकल्प परिक्रमा करें तथा गरीबों को दान पुण्य करके बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करें।

इस अवसर पर पत्रकार व समाजसेवी बलवान सिंह ने विक्रम संवत हिन्दू नववर्ष व माँ आदिशक्ति के सभी रूपों की आराधना – उपासना के महापर्व नवरात्रि की सभी को अग्रिम शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि यह नववर्ष व नवरात्रि सभी के जीवन में सुख, शांति एवं सौभाग्य लाये। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर जगत जननी माँ जगदम्बा सर्वार्थ और अमृत सिद्धि योग में घोड़े पर सवार होकर स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आ रही हैं। 9 दिनों तक अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर उनकी हर एक परेशानियों को दूर करने।भारतीय परम्परा में नवरात्रि का आयोजन देवी के नौ स्वरूपों के माध्यम से शक्ति, ज्ञान तथा ऐश्वर्य के तीन महत्वपूर्ण पक्षों को प्रकट करता हैं। यह मातृशक्ति के प्रति प्रत्येक भारतीय के मन में विश्वास और सम्मान का प्रतिक हैं। चैत्र नवरात्र जीवन में हमें इस बात की प्रेरणा देते है कि कोई भी कार्य असम्भव नहीं है, बस राष्ट्रवादी सोच और बेहतर प्रयास की आवश्यकता है। हमारे देश में प्रत्येक क्षेत्र में सम्भावनाएं हैं। बस बेहतर प्रयास की आवश्यकता है। उन सम्भावनाओं को समय से चुनते हुए कार्य करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। यह सभी कार्य एक सुरक्षित वातावरण में ही सम्भव हैं। इसलिए समाज में देवी की प्रतीक महिलाओं के सम्मान के कार्यों को आगे बढ़ाएं, तो वे समाज में नई प्रेरणा बनेंगे। यह कार्य आधी आबादी को स्वावलम्बन की दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं। यह समाज व हम सब की जिम्मेदारी है।

बलवान सिंह ने आगे कहा हम कोई भी ऐसा इनीशिएटिव लेंगे जो समाज के सम्मान और स्वावलंबन से जुड़कर व्यापक जागरूकता का कारण बनेगा, तो उसको राष्ट्रव्यापी बनने में देर नहीं लगती। कार्य करने की इच्छा शक्ति और सरकार का समर्थन होना आवश्यक है। प्रशासन सकारात्मक भाव से महिलाओं के साथ खड़ा हो जाए तो वह कुछ भी कर सकती हैं। देश और प्रदेश की आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। समाज में नारी सशक्तिकरण के लिए स्वावलंबन बेहद जरूरी हैं। स्वावलंबन नारी सशक्तिकरण की पहली सीढ़ी है। इसलिए महिलाओं को भी नौकरियों के मोह पर आश्रित करने की बजाय स्वरोजगार अपनाना चाहिए, तभी आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो सकेगा। स्वावलंबी होने से महिलाओं का स्वाभिमान और आत्मसम्मान बढ़ता है, साथ ही वह प्रतिकूल परिस्थितियों को नकारने की क्षमता भी हासिल कर लेती हैं। आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी होने से महिलाओं को हीन भावना से भी मुक्ति मिलती है। इसलिए आज के युग में महिला शक्ति को परजीवी ना होकर स्वावलंबी बनना चाहिए ताकि महिलाएं अपने परिवार की आर्थिक समृद्धि बढ़ाने में पूर्ण रूप से भी सहयोगी बन सकें। इसी विचार के साथ एक बार पुनः माँ आदिशक्ति के सभी रूपों की आराधना – उपासना के महापर्व चैत्र नवरात्रि और रामनवमी की सभी को अग्रिम हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

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