बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री महंत श्री योगी आदित्यनाथ जहां एक ओर दलित,पिछड़े, अल्पसंख्यक गरीब,दबे,कुचले,असहाय निरीह और दिव्यांगों के विकास के लिए सरकारी खजानो को खोल रखा है। जिससे कि किसी भी गरीब असहाय जरूरतमंद के विकास में कोई बाधा ना आवे तो वहीं दूसरी ओर बिचौलिए योगी आदित्यनाथ और देश के प्रधानमंत्री के सपनों को चकनाचूर करने पर आमादा हैं। इसका जीता जागता एक प्रकरण फतेहपुर ब्लॉक इलाके के मनाजूपुर मजरे सिहाली से सामने आया है। जहां की निवासिनी विधवा मूक बधिर रामपति पत्नी स्वर्गीय रमई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आवास दिया गया। और उसके बैंक खाते में पैसे भी आए परंतु उस मूक बधिर विधवा के आवास को छत नसीब नहीं हो सकी। जरा सोचिए कि इस भीषण ठंड में वह निराश्रित मूकबधिर विधवा महिला जाए तो कहां जाए। यह केवल एक आवास का हल नहीं है वहां पर ज्यादातर आवास आधे अधूरे पड़े और जिम्मेदार हैं कि उसे और देखने का नाम नहीं ले रहे हैं। बड़ी बात यह है कि ग्राम प्रधान और सचिव वहां तक जाना मुनासिब नहीं समझते। आखिर ग्राम प्रधान को मानदेय और सचिव को वेतन किस बात का मिलता है यह अपने आप में बड़े सवाल हैं। मामला प्रकाश में आने के बाद उक्त मामले पर जब हमारे संवाददाता ने खंड विकास अधिकारी फतेहपुर आलोक वर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई मामला संज्ञान में नहीं है जांच करवाई जाएगी जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। खैर खंड विकास अधिकारी ने जांच का नाम देकर पल्ला झाड़ लिया परंतु क्या हकीकत में एक गरीब मूकबधिर विधवा महिला को छत मिलेगी अथवा नहीं यह अब भविष्य के गर्भ में है। संबंधित जिम्मेदार कर्मचारी व प्रधान पर कार्रवाई होगी यह भी अपने आप में बड़े सवाल हैं ?