बाराबंकी, देवा क्षेत्र सलारपुर गांव मे स्थित खजुहा झील जो कभी प्रवासी पक्षियों की मेजबानी करती थी। यहां की अथाह जल राशि लोगों को बस बस अपनी तरफ आकर्षित कर लेती थी। प्रत्येक वर्ष सर्दियों के मौसम में विदेशी मेहमान के कौतुहल से चहकती थी । झील को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणाएं तो कई बार हुई। मगर विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते झील के हालात बद से बद्तर हो गए l
विकासखंड देवा के सलारपुर में स्थित खजुहा झील सैकड़ों बीघे में फैली हुई है बताते हैं कि इस झील में ठंड के मौसम में प्रवासी पक्षी सवन, सीपर, सेलही जैसे कई प्रजाति के पक्षी आते थे। जिनके कलरव से समूची झील महीनो तक गुंजायमान रहती थी लेकिन अब यह पुराने जमाने की बात हो गई। करीब डेढ़ दशक पहले जिला प्रशासन ने झील को मनरेगा प्रोजेक्ट के रूप में चयनित कर झील के सौंदर्यीकरण करने के साथ लोगों को रोजगार देने का कार्य शुरू किया। तेजी के साथ लागू किया गया यह प्रोजेक्ट सुपर फ्लॉप रहा। इसके बाद जिला प्रशासन ने वन विभाग को इस झील की जिम्मेदारी सौंपी जिस पर वन विभाग ने पक्षी विहार बनाने को लेकर कार्य शुरू किया तो यह भी ज्यादा दिन नहीं चल सका। तमाम योजनाओं के बाद भी झील के हालात तो नहीं सुधरे लेकिन प्रवासी पक्षियों ने यहां पर आना बंद कर दिया और सारी योजनाएं फाइलों में कैद हो गई।
सलारपुर निवासी जगदम्बा सिंह बताते हैं कि झील में आने वाले प्रवासी पक्षी महीनों झील में रहते थे और उनके कौतूहल से एक अलग प्रकार का आभाष होता था लेकिन झील में अब वह बात नहीं रही खजुहा निवासी ज्ञानेश्वर यादव बताते हैं कि प्रवासी पक्षियों के करलव देखने का अलग ही मजा था फिर धीरे-धीरे लोग झील में सिंघाड़े लगाने लगे और उसमें कुछ दिन मजदूरों को रोजगार भी दिया गया। इसी के चलते धीरे-धीरे पक्षियों ने इस झील से बेरुखी कर ली l इसके बाद वर्ष 2022 में तहसील प्रशासन नबाबगंज ने इस झील का मत्स्य जीवी समिति लिमिटेड कोटवा कला के नाम मत्स्य पालन हेतु आवंटन कर दिया समिति ने झील के चारो तरफ खुदाई कर मेड बांधने बाद काम को बंद कर दिया वर्तमान में समूची झील जलकुम्भी से पटी पड़ी है l
खजुहा झील में बीते वर्षो भारी संख्या में प्रवासी पक्षी आते थे प्रशासन ने कई बार झील को सुन्दर बनाने के प्रयास किये लेकिन झील के हालात नहीं सुधरे और प्रवासी पक्षियों ने झील में आना बंद कर दिया वर्तमान समय में प्रशासन ने मत्स्य जीवी समित कोटवा कला के नाम मत्स्य पालन हेतु झील का आवंटन कर दिया गया है। – सुमन सिंह, ग्राम प्रधान सलारपुर विकास खण्ड देवा बाराबंकी