बाराबंकी। महादेव में चल रहे सात दिवसीय महोत्सव के आज तीसरे दिन दोपहर में क्षेत्रीय कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन पत्रकार बंधुओं द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कवियत्री अंकिता शुक्ला ने मां शारदे की वंदना में “हे हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी करुणामई माता, तेरे बिन चैन ना आता”पंक्तियां पढी। रणधीर सिंह ने “जहां जन्मे कुंवर चारों अयोध्या धाम की जय हो” रचना पढी, तो वहीं सुधाकर मृदुल ने “प्रेम की धरती को पावन गीत लिखना चाहता हूँ” पढा। नवोदित कवि प्रशांत मिश्रा प्रखर के गीत “दिल दिया था जिन्हें तोड़कर दिल गए, इतना टूटे कि हम टूट कर हिल गए” गीत सुनकर लोग झूम उठे। डॉ. शर्मेश ने पढा-“जमाना लाख दुश्मन हो हमारा कुछ न बिगड़ेगा, हम अपने बाप माँ गुरु की दुआएं लेकर चलते हैं” को लोगों ने खूब सराहा
नागेंद्र सिंह ने “आस्था के हैं प्रतीक राम भारत की आत्मा” गीत पढा। रोहित सरफिरा ने “इस प्रेम रोग का कहीं इलाज नहीं” पंक्तियां पढी। दिवाकर शर्मा ने “आप ही मेघ गम का घना देते हैं” गीत पढ़ा। चंद्रकांत शुक्ल ने “राम का विरोधी हो गया था एक तामस की तामसी मिटा दिया था राम ने” कविता पढ़ी। मुकेश शुक्ला ने”द्वेष और दंभ की विभीषिका में पाप की सताई गई बांसुरी”कविता पढी। कार्यक्रम में प्रसिद्ध गीतकार जगन्नाथ दीक्षित निर्दोष के गीतों तथा शिवम मिश्रा व रमन रोचक द्वारा ओज पूर्ण काब्य गंगा में श्रोता देर शाम तक डुबकी लगाते रहे।
प्रशासनिक ढिलाई से पौने दो घंटे विलंब से प्रारंभ हुआ कार्यक्रम
भले ही क्षेत्रीय कवि सम्मेलन का समय दोपहर 12:00 बजे से निर्धारित था किंतु निर्धारित समय पर प्रशासन से कोई भी अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित नहीं था। जिसकी टीस मंच पर उपस्थित कवियों में अवश्य दिखाई पड़ी। भारी अव्यवस्था के बीच कार्यक्रम का शुभारंभ पौने दो घंटे विलंब के साथ पौने दो बजे किया गया।