बेनीगंज/हरदोई।बेनीगंज क्षेत्र के बेलबारखेड़ा में चल रहे त्रि दिवसीय सद्भावना संत सम्मेलन में शुक्रवार रात महात्मा ज्ञान युक्ता नंद ने कहा कि खूनी क्रांतियां लोगों को काट सकती है, मानवता पैदा नहीं कर सकती। यह शक्ति तो अध्यात्म में ही है जिसने अंगुलिमाल जैसे व्यक्ति को भिच्छुक और रत्नाकर जैसे व्यक्तियों को महर्षि बना दिया। जब वह अध्यात्म ज्ञान ही हमारे समाज में नहीं होगा तो हमारी शिक्षा थोथी होती हो जाएगी, समाज में परिवर्तन नहीं होगा बल्कि समाज धीरे-धीरे और विनाश की तरफ बढ़ता चला जायेगा। आज हम देखते हैं कि जब-जब भी हम अध्यात्मवाद की चर्चा करते हैं तब-तब हमारा समाज आंखें बंद कर लेता है पर एक समय ऐसा आ रहा है जबकि समाज को अध्यात्म-ज्ञान अंगीकार करना पड़ेगा।
विचार करो, जब हमारे माता-पिता एक हैं, हम सब आदम-हौवा, मनु-शतरूपा या एडम-इव की संताने हैं, जब हम सबको बनाने वाला एक ही परम पिता परमात्मा है। हम भिखारी नहीं बल्कि परमपिता परमात्मा ने हमारे अंदर अध्यात्म का सबसे बड़ा खजाना दे रखा है पर फिर भी हम दुःखी है, क्यों? क्योंकि हम उस अध्यात्म को न जानकर माया के क्षणिक सुखों के पीछे भाग रहे हैं। इसीलिए हमें अध्यात्म को जानना होगा।फिर हरदोई आश्रम प्रभारी महात्मा सुदासा नंद ने कहा कि जो हमारे शरीर को चला रहा है।वह है परमात्मा।आज मनुष्य उस परमपिता परमेश्वर को जानने की कोशिश कोई नही करता है।आज मानव उल्टा जा रहा है।इस मन को अमृत से जोड़ मीरा कहती है।मनवा रे नाम रस पीले।आज मानव कह रहा है।की यह मेरा है।यह तेरा है।अध्यात्म का मार्ग यह तपस्या का मार्ग है।
इस मौके पर जगतपाल मनोज,पंकज मौर्या शिवकुमार कमलेश,ओमप्रकाश नीरज मिश्रा,अनिल मिश्रा शिवम गुप्ता रोली मिश्रा,दीपिका सुमन, सिखा मिश्रा आदि लोग मौजूद रही।