फाल्गुन मास की दसवीं वाले दिन यहां मिलता है कुबेर का छुपाया हुआ खजाना:शत्रुघ्न बाबा…
तीर्थ में बनी शिवलिंग ऊपर हिस्से पर शंकर जी बीच में चतुर्थ मुखीब्रह्मा जी नीचे अष्टकोणीय विष्णु जी विराजमान ..
बेनीगंज/हरदोई-पवित्र धाम नैमिषारण्य से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर जमुनिया गांव के बाहर आदि गंगा गोमती नदी के पास नदी के समीप ब्रह्मावर्त तीर्थ स्थित है। तीर्थ के चारों ओर सुंदर खड़े पेड़-पौधे सुंदरीकरण से सुसज्जित तीरथ की शोभा बड़ी रमणीय है। पास में आदि गंगा गोमती नदी में कल कलाती लहरें श्रद्धालुओं को अपनी और आकर्षित किया करती हैं। श्रद्धालुगढ़ गोमतीनदी में स्नान कर ब्रह्मावर्त तीर्थ के दर्शन करते हैं। बता दे लगभग 5 वर्ष से ब्रह्मावर्त तीर्थ की देखभाल कर रहे जमुनिया निवासी सत्रोहन बाबा ने बताया जब 33 करोड़ देवी-देवताओं का आगमन नैमिषारण्य में हुआ था। उस दौरान ब्रह्मा,विष्णु,महेश ने आकर इसी स्थान पर यज्ञ किया और ब्रह्मा कुंड की स्थापना कर यहीं पर अपना स्थान ग्रहण किया। जो आज भी शिवलिंग के रूप में मौजूद हैं। ब्रह्म कुंड के बारे में ऐसा माना जाता है इसमें तीन स्रोत हमेशा चला करते हैं जिसकी वजह से इसमें जल सालों भर कभी कम नहीं पड़ता। यह कुंड चारों तरफ से अष्टकोणीय आकर का बना हुआ है।पास में लगे कुबेर जी का छुपाया हुआ खजाना भी है। फाल्गुन मास के 84 कोसीय परिक्रमा दसवीं में श्रद्धालु गढ़ यहां आकर कुबेर जी का खजाना तलाशते है जो लोंग पाते हैं चुपचाप लेकर अपने घर चले जाते हैं। घरों में पूजन सामग्री में पाए हुए खजाने को रखते हैं जिसके रखने से घर में कभी धन दौलत की कमी नहीं आ सकती। ऐसा माना जाता है कि पुरातत्व टीम यहां पर आकर शिवलिंग के बारे में जानकारी जुटाई माना शिवलिंग मौजूद समय में 7 फीट ऊपर लगभग 20 फीट नीचे है। ऐसा पुरातत्व टीम का अनुमान है। बाबा ने यह भी बताया शिवलिंग दिन में तीन बार सुबह,दोपहर,शाम को कलर बदलता है। भक्तगण मन से दर्शन करें तो उनको इस दृश्य की अभिभूति होगी।शिवलिंग में ऊपर विराजमान भोलेनाथ बीच में चतुर्थ मुख के आकार में ब्रह्मा जी नीचे हिस्से में अष्टकोणीय विष्णु जी विराजमान है। जब तीनों शक्तियां एक जगह हो जाती हैं तो ब्रह्म की उत्पत्ति होती है। इसीलिए इस तीर्थ का नाम ब्रह्मावर्त तीर्थ रखा गया। यहां दूर-दराज से सालों भर श्रद्धालुओं का आवागमन बना रहता है श्रद्धालु जो भी मन्नते मांगते हैं। प्रभु उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। बाबा का यह भी कहना है श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए 2 किलोमीटर खड़ंजा युक्त मार्ग को डामरीकरण करवाया जाए। तीर्थ परिसर में विद्युतीकरण की व्यवस्था की जाए। पास में ही आदि गंगा गोमती नदी घाट की ठीक करवाया जाए। श्रद्धालुओं के लिए यह तीर्थ और रमणीय हो जाए।