सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिन्दकी ने पत्नी की जगह पति की कर दी नसबन्दी।
फ़तेहपुर/बिन्दकी : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिन्दकी में इन दिनों अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहानी चरितार्थ हो रही है। और हो भी क्यों न जब हर जगह दलाल अपने पैर पसारें हों तो आज के समय में सब कुछ मुमकिन है नामुमकिन कुछ नहीं फिर चाहे फर्जी मेडिकल का मामला हो या फिर कोई अन्य मामला,सभी में अपना एक अलग रेट फिक्स है लेकिन आज हम बात कुछ अजीबो गरीब हुए हादसे की करने जा रहे हैं जहां पत्नी की बजाय उसके पति की नसबन्दी कर दी गयी जी हाँ चौंकिए मत ये बिल्कुल सत्य घटना है मामला बिन्दकी नगर से थोड़ी ही दूर पर स्थित ग्राम कोरसम के निवासी शैलेन्द्र सिंह पुत्र स्व० दलजीत सिंह जी का है जो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिन्दकी में विगत 5 दिसम्बर 2022 को अपनी पत्नी की नसबन्दी कराने के लिए अपनी आशा बहु के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिन्दकी पहुंचा जहां पर डॉक्टरों द्वारा दौरान नसबन्दी घोर लापरवाही बरती गयी और महिला की जगह पुरुष यानी कि उसके पति की ही नसबन्दी कर दी गयी पति बेचारा सीधा साधा उसे कुछ पता ही नहीं कि डॉक्टरों द्वारा उसके साथ क्या किया जा रहा है लेकिन जब उसकी नसबन्दी हो गयी तो उसे बाद में पता चला कि उसकी पत्नी की जगह उसी की ही नसबंदी सीएचसी बिंदकी के डॉक्टरों द्वारा कर दी गयी है जब तक उसे ज्ञात होता तब तक काफी समय हो चुका था फिर क्या था उक्त पीड़ित व्यक्ति लापरवाह डॉक्टरों की शिकायत करने के लिए खुद फरियादी बन बिन्दकी में चल रहे तहसील दिवस में अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत होकर प्रार्थना पत्र दे अपनी पीड़ा बताई लेकिन जीरो टॉलरेन्स वाली सरकार में होना क्या था सिर्फ आश्वासन क्योंकि तहसील दिवस अब तहसील दिवस नहीं बल्कि एक आम आदमी की जिन्दगी व उसकी फरियादों के साथ खिलवाड़ दिवस में तब्दील हो गया है जहां कार्यवाही नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिलता है उक्त पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि अदमापुर की आशाबहु उसे बिन्दकी अस्पताल खजुहा होते हुए बिन्दकी लेकर आई थी जबकि ग्राम कोरसम बिन्दकी से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर सटा हुआ है फिर भी इतना घुमाकर लाना समझ से परे है सवाल कई उठते हैं अस्पताल प्रशासन पर। लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं सवालों से कहीं कतराते तो कहीं मीडिया से भागते हैं डॉक्टर्स अभी हाल ही में बिन्दकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आई स्वास्थ्य जांच टीम द्वारा भले ही बिन्दकी अस्पताल की साज सज्जा रख रखाव व अस्पताल कर्मियों की चुस्त दुरुस्त व्यवस्था को देखकर भले ही गदगद हो गए हों लेकिन ढोल के अन्दर पोल वाली कहावत भी यहां पर सटीक बैठती नज़र आई सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उक्त जांच टीम ने अस्पताल की व्यवस्था को देखकर भले अस्पताल प्रशासन को सत्तासी नम्बर ( 87 ) दे दिए हों लेकिन जिस तरह से अस्पताल का यह दृश्य देखने को मिलता है उस हिसाब से तो अस्पताल को 20 नम्बर देना भी ज्यादा लगता है क्योंकि ढोल आवाज चाहे जितनी करे लेकिन उसकी असलियत तो उसके फटने के बाद ही सामने आती है जैसा कि जांच टीम ने 87 नम्बर दिए और ठीक दो दिनों के उपरान्त अस्पताल की असल सच्चाई सबके सामने आ गयी टीम ने नम्बर दिए तो अस्पताल महकमा से लेकर जिले के आला अफसरों ने भी अपनी पीठ जरूर थपथपाई होगी लेकिन जो अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहानी हुई उसे कौन अपने सिर बांधेगा उत्तर प्रदेश सरकार व उनके नुमाइंदे तथा उनके जनप्रतिनिधि भले ही अपनी सरकारों के गुणगान गाते हों लेकिन अब जिले का कौन जनप्रतिनिधि अपनी ही सरकार की हो रही किरकिरी पर आवाज़ उठाएगा या फिर हर बार मामला जांच कराकर कार्यवाही किये जाने का आश्वासन देकर प्रार्थना पत्र को रद्दी की टोकरी में डाल मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।