👉जिले के अधिकारियों के कमाऊ अड्डा बने प्राइवेट उर्वरक लाइसेंस धारक।

   हस्वा विकासखंड के संपूर्ण क्षेत्रफल में दस समितियों के माध्यम से किसानों को उर्वरक आपूर्ति हेतु चिन्हित किया गया है। साधन सहकारी समिति सीतापुर, मुराँव टेक्सारी बुजुर्ग, सातो जोगा, छिछनी, बहरामपुर, नरैनी ,अन्दौली, साधन सहकारी समिति सरकी सहित समितियों से किसानों को सस्ते सरकारी दामों पर खाद ,बीज उपलब्ध कराई जा रही है। ड़ी. ए . पी  के दाम बढ़ जाने से समिलि में कभी डी.ए.पी. है तो यूरिया नहीं तो कभी यूरिया है तो डी.ए.पी .नहीं। जहां एक तरफ सहकारी समितियों में किसानों की लाइन लग रही है तो दूसरी तरफ प्राइवेट दुकानदारों की बल्ले-बल्ले है। जांच के नाम पर कृषि अधिकारी प्राइवेट दुकानदारों से मोटी रकम इकट्ठा करके माला- माल हो रहे हैं तो दूसरी तरफ किसान प्राईवेट दुकानदारो के मिलावटखोरों का शिकार हो रहे हैं। सहकारी समितियों में दिनभर किसान लाइन में लगकर एक आधार कार्ड पर 3 बोरी डी.ए.पी. पाने के लिए सुबह से शाम तक अपने बारी का इंतजार करता है तो वहीं प्राइवेट दुकानदार 1450 से 1500 रुपए प्रति बोरी डी.ए.पी. बेच रहे है।

👉 सरकारी और प्राइवेट के मूल्य सामान तो प्राइवेट दुकानदारों मे लूट क्यों ?

  सदर तहसील सहित बिंदकी खागा मे लगभग 500 से ज्यादा प्राइवेट लाइसेंस धारी उर्वरक विक्रेता हैं। प्राइवेट एजेंसी के माध्यम से लाइसेंस धारी दुकानदारों को खाद (उर्वरक) उपलब्ध कराने का जिम्मा सौंपा गया है। ज्यादातर दुकानदारों के पास यूरिया और डी.ए.पी. का भंडार भरा हुआ है मनमाने रेट पर बेचना साफ जाहिर होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत व अभय दान प्राप्त है। समितियों में खाद समाप्त होते ही प्राइवेट दुकानदार अपने मनमाने रेट पर बिक्री करना प्रारंभ हो जाते हैं और किसान इनकी लूट का शिकार होता रहता है।

👉 गेहूं की बुवाई प्रारंभ होते ही मिलावट खोर सक्रिय, कहां सोए जिला कृषि अधिकारी

    गेहूं की बुवाई प्रारंभ होते ही मिलावट खोर पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं पिछले वर्ष राधा नगर में प्रशासन द्वारा बड़ी कार्यवाही की गई जिस पर मिलावट खोर निष्क्रिय हो गए थे लेकिन बड़े मुनाफे के चक्कर में पुनः मिलावट खोर नए आयाम तरीके से सकिय होते नजर आ रहे है। डी.ए.पी. की बोरी में अन्य प्रकार की खाद भर के मिलावट करते हुए ऊंचे दामों पर बेचना और मुनाफा कमाना मिलावटखोरों का पेसा हो गया है। जांच के नाम पर अधिकारी इन मिलावट खोरों से मोटी रकम ऐठते हुए अभय दान देते नजर आते हैं। कार्यवाही के नाम पर जिले के अधिकारी खानापूर्ति करते नजर आते हैं और किसान इन मिलावटखोरों का शिकार होता सब कुछ दिखता है किंतु कार्यवाही से सभी बचते नजर आ रहे हैं। हस्वा, बिलंदा, फतेहपुर, थरियाँव ,नरैनी सहित अनेकों स्थानों पर मिलावट खोर  अड्डा जमाए हुए हैं। आखिर इन मिलावटखोरों पर अब प्रशासन का डंडा चलेगा या यूं ही किसान लुटता दिखेगा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here