हॉस्पिटल के डॉक्टर के मुताबिक उक्त तीनों जातियां बीमारी हालत में चरण चूमते हैं और ठीक होने पर अपना ज्ञान बांटते हैं इसलिए इनका प्रवेश वर्जित

हॉस्पिटल में एक डेंगू पीड़ित मरीज भर्ती हुआ था जिसमें डॉक्टर के द्वारा कराई गई जांच और मरीज के परिजनों के द्वारा कराई गई जांच अलग अलग जिसमें परिजन भड़के–परिजनों का आरोप

शहर के नऊवाबाग स्थित “अनुराग हॉस्पिटल” मानक विहीन संचालित किया जा रहा हॉस्पिटल

फतेहपुर यूपी के प्रत्येक जनपद से हॉस्पिटलों की खबर अपने कई बार पढ़ी होगी लेकिन आज तक यह आपने नहीं सुना होगा या फिर नहीं पढ़ा होगा कि डॉक्टर को जो भगवान का दर्जा दिया गया है वह भी किसी की जाति देखकर इलाज करता है बड़े ही आश्चर्य की बात है कि जिसे जनता भगवान का दर्जा दिए है वही अब यह कहते हुए कैमरे में कैद हुआ कि हमारे हॉस्पिटल में विशेष रूप से तीन जातियों के मरीजों का प्रवेश वर्जित है। वहीं आपको बताते चलें कि प्राप्त जानकारी के मुताबिक यूपी के फतेहपुर जनपद में नऊवाबाग के पास स्थित “अनुराग हॉस्पिटल” में बीते कई दिनों से एक डेंगू से पीड़ित मरीज भर्ती हुआ था जहां डॉक्टरों के द्वारा जो जांच कराई गई थी उस जांच में मरीज के परिजनों को कुछ संदेह हुआ तो परिजनों के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक संदेह होने पर उसी दिन उसी ब्लड सैंपल से जब परिजनों ने जांच करवाई तो जांच रिपोर्ट अलग अलग प्राप्त हुई जहां परिजनों ने इस विषय पर डॉक्टर से जानकारी प्राप्त की तो डॉक्टर जांच रिपोर्ट से अनजान बनते हुए वीडियो कैमरे में यह कहते हुए कैद हो गए कि हमारे हॉस्पिटल में ठाकुर,पंडित और लोधी जाति के मरीजों का प्रवेश वर्जित है अर्थात यह तीनों जातियों के मरीजों का इलाज हमारे हॉस्पिटल में नहीं होता है क्योंकि यह तीनों जातियां ऐसी हैं कि जब तक बीमार रहते हैं तब तक तो यह चरणों को चूमते रहते हैं और जब ठीक हो जाते हैं तो अपना ज्ञान देने लगते हैं। वहीं परिजनों ने यह भी बताया कि मरीज को डिस्चार्ज कराए जाने के बाद डॉक्टर ने कुल 13272 की रसीद बनाया वहीं जब इसका बिल मांगा गया तो डॉक्टर ने कहा कि जीएसटी नही है इसलिए हम बिल नहीं दे सकते हैं जिसका वीडियो इतनी समय सोशल मीडिया में काफी तेजी के साथ वायरल हो रहा है।वाह योगी बाबा!आपके शासनकाल में एक और नई बात सबके सामने खुल कर आ गई कि अब डॉक्टर भी जातिगत पर मरीजों का इलाज करेंगे।अब देखने वाली बात यह है कि ऐसे डॉक्टर और ऐसे हॉस्पिटल पर स्वास्थ्य विभाग क्या कार्यवाही करती है या फिर पहले की तरह कुछ धन का चढ़ावा पाकर मामले को खानापूर्ति करता है??

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