गौर-बस्ती। विकास खण्ड गौर मे चारो तरफ से भ्रष्टाचार की खबर प्रकाशित हो रही है लेकिन विकास खण्ड गौर के विकास खण्ड अधिकारी द्वारा कोई ठोस कदम नही उठाया जा रहा है जिससे भ्रष्ट और भ्रष्टचारियों पर अंकुश लगाया जा सके,और गौर विकास खण्ड के गांवों मे तेजी से विकास करायी जा सके,विकास खण्ड गौर के अन्तर्गत लगभग सभी गांवो के विकास कि तुलना से बात किया जाये तो विकास के नाम पर विकास खण्ड अधिकारी के मिलीभगत से लाखो करोड़ो का घोटाला किया जा रहा है और सिर्फ कागजों मे सरकारी योजनाओ को चलाया जा रहा है,ऐसे ही कुछ गावो मे इण्डिया मार्का हैण्डपम्प के रिबोरिंग को लेकर भ्रष्टाचारो की मुहिम उजागर हुयी है,जिसको लेकर अगर तुलना किया जाये तो गौर मे लाखो रुपये का खेल सिर्फ़ कागजों मे रिबोरिंग करवा दिया गया है, और लाखो रूपया निकाल लिया गया है जबकि जमीनी हककीत यह है कि रिबोरिंग का काम पिछले कई बर्षो से नही कराया गया है,लेकिन ग्राम सचिव एंव प्रधान और वी.डी.ओ के मिली भगत से लाखो रूपये निकाले गये है और सिर्फ कागजी दस्तावेजों मे रिबोरिंग का काम परिपूर्ण भी कराया जा चुका है,सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार विकास खण्ड गौर के वी.डी.ओ के.के सिंह को चल रहे भ्रष्टाचार कि जानकारी परिपूर्ण रूप से रहती है,जिसको लेकर प्रधानो और सचिवो को संरक्षण करते रहते है और हैरानी की बात यह है कि डी.सी मनरेगा हो याफिर मुख्य विकास अधिकारी,कमिशन का पैसा हर टेबल तक पहुचता रहता है,सन्देह है कि इन्ही कारणो से भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी कार्यवाही मे बहानेबाजी चलती रहती है और मीडिया को गुमराह करते रहते है और खबर चलने के बाद भी लिपापोती करके जिलाप्रशासन और शासन को गुमराह करते रहते है -मनरेगा मे भ्रष्टाचारो कि उथक पथक के बाद भी मनरेगा मे भ्रष्टाचार कम नही हो रहा है,आखिर इसका मुख्य कारण क्या-है जो सरकार ही सरकारी योजनाओ से लुट खसोट करवा रही हैं, याफिर भ्रष्टाचार करने के लिये सरकार द्वारा चलायी जा रही है सरकारी मनरेगा योजना,जब मीडिया एक्टिव होकर भ्रष्टाचार कि खबर प्रकाशित करती है तब जाके जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारीयो के प्रति जागरूकता लाते है और थोडा बहुत काम करवाते है और बला टलते ही आधा अधूरा काम करवाके छोडकर रुपया निकाल लेते है, यही तो है विकास खण्ड गौर का •विकास, जहा के विकास खण्ड अधिकारी सिर्फ कमिशन लेने तक कि जिम्मेदारी ले रहे है बाकी विकास की नैया डगमगा जाये याफिर डुब जाये उनकी जिम्मेदारी नही बनती है ,विकास का काम सिर्फ कागजों मे ही सिमट जा रहा है और मां.प्रधान मंत्री एंव मां.मुख्यमंत्री जी जीरो टॉलरेंस कि नीति का गुणगान करते रहते है मा.प्रधान मन्त्री जी एंव मा.मुख्य मन्त्री जी, अगर जीरो टॉलरेंस कि नीति ही है कि लुट खसोट करो,और भ्रष्टचार का सम्राज्य खड़ा करो, तो नही चाहिये ऐसी जीरो टालरेन्स कि निति, जिससे विकास के नैया पर सिर्फ कमीशनखोरी की पहिया लगाकर चलायी जाये, विकास का मार्ग दिखाकर सरकारी योजनाओ मे सिर्फ भ्रष्टाचार फैलाया जाये

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