एफआइआर पंजीकरण कराना अधिकारिकारियों की मजबूरी है या मात्र दिखावा

  • घटना के खुलासे में हुई देरी बता रही कि चल रहा था बड़ा खेला बस्ती। पीसीएफ धान घोटाला के खुलासे में हुई देरी से क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है । दबे मन से ही सही लोग यह कह रहे हैं कि बिना उच्चाधिकारियों के मिलीभगत से इतना बड़ा घोटाला केवल निचले स्तर से सम्भव नहीं है. आखिर पीसीएफ के जिम्मेदार आठ महीनें तक चुप क्यों रहे ।
    प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद में पिछले सीजन में हुए धान खरीद में लगभग 20 करोड़ का घोटाला प्रकाश में आया है जिसका जिम्मेदार विभाग पीसीएफ 17 करोड़ के रिकवरी की भी पुष्टि किया है । घोटाले की राशि पर यदि गौर किया जाये तो इतना बड़ा घोटाला कोई निचले स्तर का अधिकारी बिना उच्चाधिकारी की मिलीभगत से करेगा बात हजम होने वाली नहीं है । घोटाले पर कार्यवाही में हुई देरी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि घोटाले का तार बड़े अधिकारियों तक जुड़ा है परन्तु घोटाले का पर्दाफाश हो जाने पर बड़े अधिकारियों ने छोटों पर कार्यवाही करके अपने आप का सुरक्षित कर लिया है । घोटाले का धान जिन फर्मों को दिया गया विभाग द्वारा उनका भी नाम छिपाया जा रहा है क्योंकि विभाग को कहींं न कहीं इस बात का डर सता रहा है कि घोटाले की तह में जाने से कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे जो कि विभाग नही चाह रहा है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here