प्रभारी निरीक्षक सोनहा के आगे पुलिस अधीक्षक बस्ती असहाय, दबाव में जिले के अधिकारी
गलत करें या सही प्रशासन की नजर में प्रभारी निरीक्षक सोनहा भगवान है भले ही जनता त्राहिमाम करें।
बस्ती। सोनहा थाना पर योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस की नीति को जनपद के पुलिस अधिकारी दर्जिया उड़ा रहे हैं, विदित हो कि मामला सोनहा थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत पिपरा पोस्ट रामनगर का है जहां पर जंगबहादुर की मोटरसाइकिल उसके घर से चोरी हो जाती है सुबह जब वह जागता है तो उसकी मोटरसाइकिल घर पर नहीं होती है, आनन फानन में वह 112 नंबर पर फोन करता है पुलिस घर पर आती है और उसको दिशा-निर्देश देती है कि आप थाने पर जाकर संबंधित प्रकरण के मामले में मुकदमा दर्ज करायें। पीड़ित मुकदमा दर्ज करवाने के लिए थाने पर जाता है व प्रार्थना पत्र प्रभारी निरीक्षक सोनहा उपेन्द्र मिश्रा को देता है प्रार्थना पत्र देने के बाद जब पीड़ित रिसीविंग की डिमांड करता है तो निरीक्षक उसका नाम पता पूछते हैं जब नाम के पीछे सरनेम इनको नहीं पता चलता है तो जाति सूचक शब्दों से गाली देते हुए थाने से भगा देते हैं। विदित हो की यह कोई पहला प्रकरण नहीं है थानाध्यक्ष सोनहा उपेन्द्र मिश्रा आए दिन विवादों में घिरे रहते हैं पूर्व में भी दर्जनों मामले ऐसे हुए जिसमें थानाध्यक्ष सोनहा के कर्तव्य को लेकर प्रश्न चिन्ह खड़े हुए हैं। कई बार इनके विरोध में पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर लोगों ने जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगाए, व अन्य सामाजिक संगठनो के द्वारा भी इनके ऊपर पक्षपात के आरोप लगाए गए इसके उपरांत भी इनकी राजनीतिक पकड़ होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। आपको बताते चले की 3 माह पूर्व पडरी ग्राम पंचायत का एक मामला प्रकाश में आया था जिसमें इन्होंने दलित नाबालिक को 151 में चालान करके जेल भेज दिया था और अपने कानूनी प्रक्रिया के चलते उसको चार दिन पुलिस अंडर कस्टडी में रखा गया। इसके बाद इसी थाना क्षेत्र के गांव मुरादपुर का रहने वाला सितेश जो सिम पोर्ट करता था कैनथू चौराहे पर अपना सिम पोर्ट का स्टाल लगाया हुआ था कुछ दबंग टाइप के लोग सिम पोर्ट करवाने आए और इसको मारा पीटा, इस मामले में भी इन्होंने मुकदमा पंजीकृत तब तक नहीं किया जब तक पीड़ित पुलिस अधीक्षक कार्यालय एवं मीडिया में खबर प्रकाशित नहीं हुई। पुलिस विभाग के न्यायिक चरित्र के ऊपर प्रश्न चिन्ह लगाने व पुलिस अधीक्षक के आदेशों के उपरांत इन्होंने संज्ञान तो लिया लेकिन मुकदमा दोनों पक्ष से दर्ज किया। अभी जल्द ही में इन्हीं के थाना क्षेत्र का एक मामला नवागांव का है जहां पर इन्होंने धार्मिकता व वह जाती है मानसिकता से प्रेरित हो कर अबरार अली को थाने पर बुलाकर जबरन मारा-पीटा व सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा के यह धमकी देते हुए छोड़ दिया कि यदि वह कहीं और शिकायत करेंगे तो उनको गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर जेल में डाल दिया जाएगा। लोगों की कथनांक को मने तो कई लोग भाजपा के नेताओं के पास भी गए नेताओं ने यह कहकर मना कर दिया कि यदि तुम्हारा व्यक्तिगत मामला हो तो हम हस्तक्षेप करें क्योंकि उस क्षेत्र की जनता सपा, बसपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों की भी है हम उनकी मदद नहीं कर सकते। सूत्रों की माने तो प्रभारी निरीक्षक सोनहा का राजनीतिक पकड़ होने के कारण इनके ऊपर कोई भी संवैधानिक कार्यवाही नहीं हो सकती, हालांकि लगातार अपने निरंकुश्ता के कारण यह खबरों में बने रहते हैं। इनके जातीय विद्वेष के कारण क्षेत्र की जनता त्रस्त है। लोगों की माने तो यह सिर्फ दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के लोगों को टारगेट बनाते हैं जो भौतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से दबे कुचले हैं। इनके मामलों की यदि निष्पक्ष विवेचना की जाए तो इनका चरित्र जनपद के सबसे खराब पुलिस अधिकारियों में गिनी जाएगी इसके उपरांत भी यदि यह इस पद पर बने हुए हैं तो इसका कारण मजबूत राजनीतिक व प्रशासनिक पकड़ हो सकती है। अभी कल की ही बात है इनके महतहत कुछ व्यक्तियों के द्वारा निष्पक्ष खबर लिखे जाने पर पत्रकारों को भी टारगेट करने लगे हैं, निष्पक्ष खबर लिखे जाने पर यह महाशय पत्रकारों के ऊपर आईजीआरएस एवं तथाकथित शब्दों से संबोधित करवा कर सोशल मीडिया पर अपमानित करवाते हैं। लोगों की माने तो इनके अंदर न्यायिक चरित्र न होने के कारण पूरे सोनहा थाना अंतर्गत जनता त्राहिमाम कर रही है, कारण शासन सत्ता व प्रशासन में पकड़ बताया जा रहा है जो भी हो यदि इनके कैरेक्टर रोल को वेरीफाई किया जाए तो निश्चित तौर पर यह इनके कर्तव्यों का स्पष्टीकरण निकल कर सामने आएगा। खबरें तो बहुत चल चुकी है ऐसा नहीं है कि जिले के आला अधिकारियों के संज्ञान में यह बातें नहीं है लेकिन गांव में एक कहावत है “बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया” फिर भी देखना है प्रशासन क्या रवैया अख्तियार करती है।