बस्ती। मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई दो साल बाद भी नहीं शुरू हो पाई। 200 बेड के नवीन भवन के लिए शासन ने वर्ष 2022 में 1.97 करोड़ रुपये की लागत से ऑक्सीजन प्लांट लगाने की स्वीकृति दी थी। बावजूद इसके अब तक यह प्लांट क्रियाशील स्थिति में नहीं पहुंचा। पाइप लाइन का कार्य अब भी बाकी है।

मेडिकल कॉलेज के नवीन भवन में इमरजेंसी, प्रसूता वार्ड समेत 200 मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था है। शासन ने इस भवन के प्रत्येक वार्ड में ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए यूनिट स्थापना की स्वीकृति दी थी। इसके निर्माण की जिम्मेदारी यूपीपीसीएल लखनऊ यूनिट को मिली थी। तीन साल बीतने के बाद केवल ऑक्सीजन प्लांट ही स्थापित हो सका है। नवीन भवन के बगल में टीन शेड में ऑक्सीजन निर्माण के लिए मशीनों की स्थापना कर दी गई है। मगर, वार्डों से इसका कनेक्शन नहीं हो सका है।

इसके लिए भवन के प्रत्येक वार्ड में पाइप लाइन बिछाने का कार्य होना है। यह दो साल बीतने के बाद भी पूरा नहीं हुआ है। पाइप लाइन का कार्य आधे-अधूरे में ही पड़ा है। पिछले महीने डीएम ने निरीक्षण के दौरान निर्माणाधीन प्लांट की हकीकत जानी थी। उन्होंने कार्यदायी एजेंसी के अधिकारियों से जवाब-सवाल भी किया था। बताया गया कि डेढ़ महीने में यह प्लांट क्रियाशील कर दी जाएग। एक महीने बीतने वाला है, अब तक पाइप लाइन का कार्य पूरा नहीं हो सका है। वार्डों की दीवारों में पाइप लटकाने के बाद जस के तस स्थिति में छोड़ दिया गया है। मरीजों के बेड के पास ऑक्सीजन प्वाइंट नहीं बनाया गया है।
निर्माणाधीन ऑक्सीजन प्लांट से प्रतिदिन एक हजार एलएमपी ऑक्सीजन गैस उत्पादन की क्षमता निर्धारित की गई है। इससे मेडिकल कॉलेज में कि साथ 200 गंभीर रोगियों को ऑक्सीजन की सप्लाई निरंतर दी जा सकती है। लेकिन, निर्माण कार्य पूरा नहीं होने से यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। नवीन भवन के इमरजेंसी एवं प्रसूता वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों को सिलिंडर के जरिये ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रतिदिन यहां 10 से 15 सिलिंडर की आपूर्ति हो रही है। इससे कॉलेज प्रशासन का अतिरिक्त धन खर्च हो रहा है।
नए ऑक्सीजन प्लांट में बूस्टर भी लगाया जाना है। बूस्टर ऑक्सीजन के गैस फार्म को लिक्विड फार्म में बदलकर सिलिंडर में रिफिलिंग करता है। ताकि पाइप लाइन से सप्लाई के साथ-साथ आपातकाल में बूस्टर की मदद से सिलिंडर से वार्डों तक ऑक्सीजन पहुंचाया जा सकें। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से शासन को बूस्टर की डिमांड भेजी गई थी। बताते हैं कि एक बूस्टर यहां के लिए आवंटित भी हो गया था। लेकिन, बाद में उसे अयोध्या मेडिकल कॉलेज को दे दिया गया। ऐसे में स्थानीय स्तर पर अब बूस्टर की अनुमानित लागत 15-16 लाख रुपये की कटौती प्लांट की लागत में से कर ली गई है। कार्यदायी एजेंसी को बूस्टर का भुगतान अब नहीं दिया जाएगा।
मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल के दौरान दो ऑक्सीजन प्लांट अनुदान में मिले थे। संबंधित कंपनियों के तरफ से यह प्लांट परिसर में स्थापित करके दिया गया था। यह वर्तमान में चालू हालत में हैं। मगर इनकी क्षमता कम होने की वजह से ऑक्सीजन की कमी अस्पताल में बरकरार है। तत्कालीन डीएम सौम्या अग्रवाल की पहल पर टोरेंटो गैस कंपनी की तरफ से 365 एलएमपी क्षमता का और दूसरा 500 एलएमपी क्षमता का प्लांट तत्कालीन सांसद हरीश द्विवेदी की पहल पर उर्वरक रसायन मंत्रालय भारत सरकार की ओर से स्थापित कराया गया था। इन प्लांट के साथ पाइप लाइन की व्यवस्था नहीं है। सिलेंडरों के जरिये मेडिकल वार्ड, जनरल वार्ड, प्राइवेट वार्ड और महिला वार्ड में ऑक्सीजन की सप्लाई कराई जा रही है।
नए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की जा चुकी है। मशीनें स्थापित हो चुकी हैं। केवल पाइप लाइन का कार्य बचा हुआ है। कार्यदायी एजेंसी पाइप बिछाने का कार्य कर रही है। एक महीने में यह प्लांट क्रियाशील करने के लिए कहा गया है। ●डॉ. मनोज कुमार, प्रधानाचार्य, मेडिकल कॉलेज, बस्ती.

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