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अयोध्या।
कारगिल में तैनात लेकिन असम में उल्फा उग्रवादियों से लोहा लेते समय शहीद हुए थे राम सूरत यादव, बाद में मिला कारगिल शहीद का दर्जा, राम सूरत यादव की वीरांगना पत्नी रानी यादव जनपद के जनप्रतिनिधियों से आज भी निराश, 25 साल बीत जाने के बाद भी किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं ली सुध, केवल आर्मी वाले ही करते हैं याद, गांव के गांव डेहरियावा बिसनोहरपुर में शहीद राम सूरत यादव के नाम से खड़ंजा लगाने का प्रस्ताव लेकिन खड़ंजा आज तक नहीं लगा, जो खड़ंजा लगा उसे पर काली सड़क आज तक नहीं बनी, 11 अगस्त 1999 को असम में शहीद हुए थे रामसूरत यादव, 16 अगस्त 1999 को पैतृक गांव डेहरियावा में बिसनोहरपुर में सम्मान के साथ हुआ था अंतिम संस्कार, गांव में रामसूरत के नाम से बनाया गया है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, संसाधन ना होने के कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी बदहाल।