दीपक कुमार मिश्रा

सरकारी अस्पताल और प्राइवेट मेडिकल स्टोर का साठ गांठ बहुत पुराना है।जिसके चलते मरीजों की जेब ढीली की जाती है बाहर से जांच और दवाओं के नाम पर।लेकिन अगर कोई इसका विरोध करे तो उसके लिए मुसीबत बन जाती है।कुछ ऐसा ही देखने को मिला बाराबंकी में जहां पर सरकारी अस्पताल के चिकित्सक द्वारा बाहर से जांच और दवाई ना लिखने पर दबंग मेडिकल स्टोर संचालक ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर चिकित्सक से अभ्रता की और धमकी दी। दरअसल ही पूरा मामला है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैदरगढ़ का। जहा पर तैनात चिकित्सक विश्वनाथ मद्धेशिया के साथ एक मेडिकल स्टोर संचालक ने अभद्रताकी। पुलिस के पहुंचने पर मामला शांत हुआ।

डा. मद्धेशिया ने बताया कि मेडिकल स्टोर संचालक का कहना है. कि उनके मेडिकल स्टोर से मरीजों को दवा खरीदने के लिए पर्चा लिखा जाए। ऐसा नहीं करने के कारण धमकी दी और अभद्रता की। उन्होंने यह भी बताया कि मंगलवार देर रात सीएचसी पर रायवरेली की रहने वाली सुनीता सिंह अपने पति मनीष सिंह को लेकर आई। उन्हें दिल में दर्द था।सीएचसी पर ही ईसीजी किया गया और दवाएं दी गई। इससे उनकी हालात में सुधार हुआ। मेडिकल स्टोर संचालक को जब यह बात पता चली तो उसने सीएचसी पर इसीजी जांच करने व दवाएं देने का विरोध किया।कहा कि मेडिकल स्टोर बंद हो जाएगा, डाक्टर को वह सीएचसी पर रहने नहीं देगा। डा. मद्वेशिया ने।बताया कि पुलिस के न आने पर उनके साथ अनहोनी हो सकती थी।कार्रवाई के लिए सीएचसी अधीक्षक ने सीएमओ को पत्र लिखेंगे और कारवाई करवाने में कोई कसर नहीं रखेंगे। देखने वाली बात यह होगी की डॉक्टर की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी क्या एक्शन लेते हैं कार्यवाही करते हैं हालांकि सरकारी अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर और प्राइवेट जांच केंद्र फल फूल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर अस्पताल के अंदर दलाल भी मरीज और तीमारदारों को उनकी तरफ ले जाने में सक्रिय है।

बाइट विश्वनाथ मद्धेशिया पीड़ित चिकित्सक
बाइट सुनीता अस्पताल में मौजूद तीमारदार

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