दीपक कुमार मिश्रा

बाराबंकी। शहर में तेजी से बढ़ते आटो रिक्शा अब मुसीबत बन गये हैं अब सवारियां कम मालवाहक वाहन बनकर सड़कों पर भर्राटा भर रहे हैं आटो रिक्शा, पुलिस व परिवहन विभाग देखकर बंद कर लेते हैं आँख। भाड़ा ज्यादा मिलने के कारण अब आटो रिक्शा चालक सवारियों से 5 की जगह 10-15 रूपये वसूली कर रहे हैं, किन्तु जनता की इस समस्या व किराया निर्धारित करने के लिए प्रशासन के पास वक्त ही नहीं है, ऐसे में जनता खुलेआम लुट रही है। जनता की जिन्दगी संकटमय हो गई है, हादसों के बाद पीटी जाती हैं लकीरे, वही विभाग की शिथिलता के कारण मालवाहक गाड़ियों के चालक भुखमरी की कगार पर पहुंच गये हैं। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार बेतरतीब बढ़े ईरिक्शे भले सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त न हों लेकिन अपने खुलेपन के कारण आम जनता की पसंद बन गए। अवैध वसूली की पूर्ति के लिए माल ढोने के मजबूर हैं आटो रिक्शा चालक। सवारियों से लेकर सामान की ढुलाई के लिए यहाँ कोई मानक निर्धारित नही है। ईरिक्शा पर महज 4 सवारी बैठ सकती है। लेकिन, मालवाहक के तौर पर प्रयोग निषेध है। बावजूद शहर में पूरे दिन मालवाहक के रूप में प्रयोग किये जा रहे हंै। सवारियां मिलने पर उन्हें कहीं पर भी रोककर बैठाया जाता है देख लेने पर यातायात पुलिस निगाहें फेर लेती। ई-रिक्शा में चार सवारियां बैठाई जा सकती है। इस वाहन में भारी सामान की ढुलाई निषेध है क्योंकि संतुलन बिगड़ने से हादसे की संभावना प्रबल हो जाती है। मालवाहक के तौर पूरे दिन शहर के अलग-अलग प्रतिष्ठानों का सामान इधर से उधर खुलेआम करते है। नवीन मण्डी से लेकर शहर व गांव की गलियों तक पूरे दिन सड़कों पर भारी माल की ढुलाई होती है, बीच में सवारियों को भी बैठा लिया जाता है। हादसे की संभावना से अनजान यात्री सफर करते है। कुछ चालकों ने केवल खरीददारी के समय फिटनेस व परमिट कराया था। यहां मानकों को लेकर ढिलाई बरती जाती है। रिक्शे के गैर कानूनी प्रयोग इसलिए होता है कि इनके लिए नियम कानून का पालन सख्ती से नहीं किया जाता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुलिस की नाक के नीचे इतनी बड़ी संख्या में गैरकानूनी रूप से ई-रिक्शे चल रहे हैं तो इन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है, जो कई सवालियां निशान खड़े कर हैं? नाम न छापने की शर्त पर एक रिक्शा चालक ने बताया कि प्रतिदिन के हिसाब में माहवारी देनी पड़ती है। हम लोग क्या करें, विभाग नियमों को ताक पर रखकर सवारी वाहनों को मालवाहक वाहन के रूप में इस्तेमाल करवा हैं, वसूली के चक्कर में मजबूर होकर माल ढो रहे हैं। अब देखना यह है कि क्या विभाग इस सम्बंध में कोई कार्यवाही करेगा या ई-रिक्शा चालक सवारी के स्थान पर माल वाहक बनकर घूमते रहेंगे या कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जायेगी। यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

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