रामनगर बाराबंकी पूरे क्षेत्र में धूमधाम के साथ ईद का पर्व बृहस्पतिवार के दिन मनाया गया। इस दिन सभी मुसलमानो ने ईदगाहों में जाकर नमाज अदा की। उसके बाद एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। ईद का त्यौहार उन मुसलमान के लिए खुशी का त्यौहार है जो लोग पूरे महीने रमजान रोजा रखकर प्रतिदिन नमाज अदा करते हैं। इसके बाद तरावीह की खास नमाज अदा करते हैं और एक माह तक अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चलकर रोजा रखते हैं। तथा पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं। हजरत मोहम्मद साहब 53 वर्षों तक मक्का में रहे और उसके बाद मदीना शरीफ चले गए। हिजरी सन 2000 में पहली बार रमजान के रोजे फर्ज किए गए। इसी वर्ष पहली बार ईद की नमाज अदा की गई ।हजरत मोहम्मद साहब को मानने वाले सभी लोगों ने इनके पीछे लाइन में लगकर नमाज अदा किया। इसलिए हर वर्ष मुस्लिम लोग रमजान के महीने में एक महीने तक रोजा रखकर पवित्र भाव से नमाज अदा करते हैं और जब ईद आती है ,तो सभी लोग ईदगाहों में एकत्र होकर एक साथ नमाज पढ़ते हैं। तथा दुनिया के जनमानस और देश की सलामत के लिए अल्लाह ताअला से दुआ करते हैं। तथा ईद के दिन प्रातः काल स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र में एक दूसरे के घर में जाकर आपस में गले मिलते हैं और ईद की मुबारकबाद देते हैं। तथा मुख्य व्यंजन में सेवाइयों को खाते हैं और एक दूसरे को खिलाते हैं। इस त्यौहार को मुस्लिम शासनकाल में भी मनाया जाता था वे लोग ईद के एक दिन पूर्व से गरीब लोगों को खैरात बाटते थे। तथा यहां पर रहने वाले गैर मुस्लिम भाइयों द्वारा भी एक दूसरे को ईद की बधाई दी जाती थी ।गरीब व्यक्तियों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था भी गैर मुस्लिम लोगों द्वारा की जाती थी। ईद के दिन लखनऊ, पटना, कोलकाता ,बैंगलोर ,मैसूर, हैदराबाद इन राजधानियों में बनी ईदगाहों में लोग एकत्र होकर नमाज़ अदा करते हैं। इन ईदगाहों में शासन प्रशासन के पदों पर तैनात लोग उपस्थित होकर नमाज़ पढ़ते हैं ।तथा ईद का त्योहार धूमधाम के साथ मनाते हैं। प्रातः काल से समस्त ईदगाहों में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक लोग प्रातः काल एकत्र होकर एक साथ ईद की नमाज अदा करते हैं।