हथगांव फतेहपुर

प्रत्येक समाज के अपने अपने अलग-अलग त्योहार होते हैं और उनका महत्व भी अलग-अलग होता है अपनी खुशी का इजहार करने के लिए त्यौहार मनाते हैं त्योहार रोजमर्रा की दिनचर्या से हटकर हम में काम करने का नया उत्साह पैदा करता है और कुछ त्योहार धार्मिक कुछ सांस्कृतिक व कुछ राष्ट्रीय त्योहार होते हैं जिन्हें हर वर्ग हर समाज के लोग आपस में मिलजुल कर मनाते हैं त्योहार इस्लामी माह शव्वाल की पहली तारीख को मनाया जाता है इसके पहले रमजान का महीना होता है जिसे मुस्लिम भाई बड़ा पवित्र महीना मानते हैं इस पूरे माह में रोजे रखे जाते हैं सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ नहीं खाते हैं सूर्यास्त के पश्चात रोजा खोला जाता है जिसे रोजा इफ्तारी भी कहते हैं दिनभर कुरान शरीफ का पाठ करते हैं और नियम पूर्वक नमाज अदा करते हैं पूरा माह पवित्र जीवन बिताते हैं गरीबों और दुखियों की मदद करते हैं रमजान माह की समाप्ति पर ईद का चांद देखकर रोज समाप्त करते हैं रोगी के बाद दिखाई देने वाला महीने का पहला चांद ईद का चांद कहलाता है यह मुस्लिम भाइयों के लिए बड़ा प्यार चंद होता है ईद का चांद दिखाई देने के दूसरे दिन प्रात काल स्नान कर नए कपड़े पहनकर मस्जिदों और ईदगाह पर नमाज पढ़ने जाते हैं सब एक साथ मिलकरअल्लाह को शुक्रिया अदा करते हैं उसने उन्हें जीवन दिया रोजे रखने की शक्ति दी बाद में गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं ईद मुबारक का मेला लगता है एक दूसरे के घर ईद मुबारक करने जाते हैं सिवैंया और मिठाइयां खाई व खिलाई जाती है सिवैयां ईस दिन का प्रिय व्यंजन है रात में मस्जिदों में रोशनी की जाती है और आतिशबाजी भी की जाती है रमजान महीने में इन लोगों का विश्वास है कि रोजे रखने से उनकी आत्मा पवित्र होती है और नर्क से मुक्ति मिलती है इसी खुशी में ईद का त्यौहार मनाया जाता है इस दिन हमें आपस में भेदभाव बुलाकर मिलजुल कर त्योहार मनाना चाहिए सभी तरह के राग द्वेष भूलकर भाईचारे की भावना से मनाए गए त्योहारों की अपनी अलग ही शान होती है क्योंकि त्यौहार हमें ताजगी स्फूर्ति और खुशियां प्रदान करते हैं

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