🖋️ पवन कुमार श्रीमाली
आज 11 अप्रैल को 19वीं सदी के महान भारतीय विचारक और समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती है देश के सामाजिक क्रांति के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फुले ने गरीबों महिलाओं, दलितों एवं पिछड़े वर्ग के उत्थान तथा सामाजिक जडताओ व कुरीतियों को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया उनका पूरा नाम ज्योति राव गोविंद राव फुले था उन्हें ज्योतिबा फुले महात्मा फुले के नाम से जाना जाता है महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था माली के काम में लगे यह लोग फुले नाम से जाने जाते थे ज्योतिबा फुले का जीवन और उनके विचार व महान कार्य आज ही लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं जब ज्योतिबा फुले सिर्फ 1 वर्ष के थे तभी उनकी माता का निधन हो गया पढ़ाई बीच-बीच में छूट गई थी फिर बाद में 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की आपको बता दें 19वीं सदी के भारतीय समाज में जात-पात बाल विवाह समेत कई कुरीतियां व्याप्त थी महिलाओं और दलितों की स्थिति बेहद खराब थी महात्मा फुले ने भारतीय समाज की इन कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई वह बाल विवाह के विरोधी और विधवा विवाह के समर्थक थे वह अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर महिलाओं की शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए लड़े वह और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले महिला शिक्षा के अग्रदूत थे फुले महिलाओं को स्त्री पुरुष का भेदभाव से बचना चाहते थे इसके लिए स्त्रियों को शिक्षित करना बेहद आवश्यक था उन्होंने अपनी पत्नी में पढ़ाई की प्रति दिलचस्पी देखकर उन्हें पढ़ने का मन बनाया और प्रोत्साहित भी किया सावित्रीबाई ने अहमद नगर और पुणे में टीचर की ट्रेनिंग ली उन्होंने साल 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए देश का पहला महिला स्कूल खोला इस स्कूल में उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले पहली शिक्षिका बनी सावित्रीबाई फुले को ही भारत की पहली शिक्षिका का श्रेय जाता है फुले दंपति ने देश में कुल 18 स्कूल खोले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके योगदान के लिए उनको सम्मानित भी किया महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने समाज को विरोध भी झेलना पड़ा ज्योतिबा राव ने दलितों और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए सत्यशोधक समाज की स्थापना की समाज सुधारक इन अथक प्रयासों के चलते 1888 में मुंबई की विशाल जनसभा में उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई 1890 को 63 साल की उम्र में उनका निधन हुआ साथियों महात्मा फुले कहते थे की शिक्षा स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है आज उनके द्वारा किए गए महान कार्यों को याद करने का दिन है