ब्रेकिंग/ थरियाँव
तीन सिपाहियों व एक दरोगा के इशारे पर चल रहा थाना।
गांव गांव में बेंची जा रही अवैध शराब व नशा युक्त सामाग्री।
थाने के सामने से निकलते ओवरलोड मोरम लदे ट्रक।
रीपोस्टिंग में तैनात सिपाही कुलदीप थाना क्षेत्र मे दे रहा जुर्म को बढ़ावा।
फरियाद लेकर आए फरियादी को पहले इन तीन सिपाहियों को चढ़ावा देने के बाद ही मिलने देते हैं थाना प्रभारी से।
पुलिस अधीक्षक के आदेश के बावजूद रिपोस्टिंग मे तैनात कुलदीप सिपाही पर कोई कार्यवाही नही हो रही है । थाने में तैनात कारखास सिपाहियों पर अब तक कार्रवाई नहीं की जा सकी है। थानेदारों के ये कारखास सिपाही अपराधियों के मददगार बनकर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। जुआ और सट्टा के अड्डे चलवाने के साथ ही नशा विक्रेताओं से उनकी साठगांठ क्षेत्र की जनता के लिए मुसीबत का सबब बनी है। इस बारे में अफसरों तक शिकायत पहुंचती है लेकिन नेताओं के दबाव में उन सिपाहियों को हटाया नहीं जा रहा। नतीजा यह कि चोरी-छिनैती जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं।
थानेदार ने तीन सिपाहीयों को अपना कारखास बनाकर रखे हैं। वही सिपाही इलाके में सभी तरह की धन उगाही करते है। पैसों के लालच में थानेदार उनके इशारों पर नाचते हैं। ऐेसे में बेलगाम कारखास सिपाही अवैध कमाई बढ़ाने के लिए इलाके में जुए और सट्टे के कई अड्डे व गांव गाँव मे अवैध नशा और अवैध खनन करवाते हैं। यह तथ्य कई बार सामने आया है कि जुआ-सट्टा में हारने वाले लोग चोरी-छिनैती करते हैं। यूं कारखास सिपाही अपराध को बढ़ावा देते हैं।
मौजूदा समय में जुआ के सबसे बड़े अड्डे थरियाँव थाना क्षेत्र के टेक्सारी बुजुर्ग व दिहुली व थरियाँव कस्बे में चल रहे हैं। इन दिनों थाना क्षेत्रों में स्मैक,गांजा सहित अन्य नशा करोबारियों ने कारखास सिपाहियों के बूते गढ़ बना रखा है। नेशनल हाइवे व गाँवों मे नशेड़ी आए दिन आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं। वाटर लिफ्टिंग पंप और साइकिल समेत अन्य घरेलू सामान पलक झपकते गायब किए जा रहे हैं। पुलिस इन घटनाओं की एफआईआर भी नहीं दर्ज करती है।
थाना क्षेत्र के कुछ खास गाँवों मे सुबह से देर शाम तक जुआडियो का जमघट लगा रहता है लेकिन कारखास सिपाही का हाथ होने से पुलिस की शह है। सट्टे और जुआ के अड्डों से रोज एक थाने को पांच से दस हजार रुपये मिलते हैं।
डी जी पी के आदेश के बावजूद अगर पुलिस अधीक्षक इन रिपस्टिंग व कारखास सिपाहियों को नहीं हटा पा रहे हैं तो समझा जा सकता है कि नियम-कानून सिर्फ कहने के लिए हैं। विभाग में चर्चा है कि साहबों से बड़े बंगले तो इन कारखास सिपाहियों के हैं, जो हर महीने लाखों रुपये अवैध उगाही के जरिए घर ले जाते हैं।