वर पक्ष ने बिना दहेज के लालच के रचाई शादी, वधू पक्ष की रिश्तेदारों और गांव वालों ने उठाई जिम्मेदारी

संवाददाता महेश प्रजापति असोथर फतेहपुर

फतेहपुर असोथर/नगर पंचायत असोथर क्षेत्र अंतर्गत प्राचीन ब्रम्हदेव बाबा मंदिर परिसर एक साहसिक विवाह का गवाह बना। असोथर थाना क्षेत्र के बेरूई गांव निवासी रमेश साहू के पुत्र सुधीर 25 वर्ष की शादी धूमधाम से कराई गई। ब्रम्हदेव मन्दिर में दोनों पक्षों के रिश्तेदारों एवं ग्रामीणों के सहयोग से हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार बिना दहेज के लेन-देन के शादी संपन्न हुई। बहरामपुर गांव निवासी लल्लू साहू की पुत्री मुस्कान 22 वर्ष ने सुधीर को अपनी खुशी से जीवन साथी चुना।
पिता सूरत में दूसरी शादी कर ली, तंगी से जूझ रहा परिवार
मुस्कान ने बताया कि हम अपने माता-पिता के दो बहन एवं एक भाई हैं। परिवार में आर्थिक तंगी रहती है।
पिता सूरत में किसी दूसरी महिला से शादी रचा कर हम लोगों को अकेला छोड़ दिया है। इसके बाद से हमारा परिवार एक तरह से अनाथ हो गया। हमारे परिवार को लेकर गांव में कई तरह के ताने मारे जाते थे। लेकिन समाज और रिश्तेदारों के सहयोग से विवाह असोथर थाना क्षेत्र के बेरूई गांव निवासी रमेश साहू के पुत्र सुधीर साहू से बिना किसी दान-दहेज के खुशी भरे माहौल में हो गया है।
मुस्कान ने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। अब हम अपना जीवन अच्छे ढंग से जी सकेंगे। मुस्कान ने आगे कहा कि सरकार की तरफ से हम दोनों पति-पत्नी को अगर कुछ सरकारी लाभ मिल जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा। हम स्वरोजगार करके अपने परिवार को संवार लेंगे। लड़की मुस्कान आठवी पास है और सिलाई-बुनाई जानती है। शादी के अवसर पर बड़ी संख्या में दोनों तरफ से स्वजन और रिश्तेदारों, ग्रामीणों ने उपस्थित होकर नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया।
दहेज प्रथा को खत्म करने को लेकर लिया निर्णय, अपनी बेटी की तरह रखेंगे ख्याल
दूल्हा सुधीर साहू के पिता रमेश साहू ने बताया कि मेरी हमेशा से यही इच्छा थी कि समाज में फैले दहेज के लालची लोगों ने अपने बच्चों की शादियों में दहेज न मिलने के कारण गरीब परिवार की लड़कियों से संबंध नहीं करते थे। जिससे गरीब परिवार के ऊपर अपनी बेटियों की शादी की चिंता बढ़ जाती थी। और कहीं कहीं तो परिवार के मुखिया या बेटी आत्महत्या तक कर लेती हैं। इस तरह के समाचार सुनकर मेरा मन हमेशा कुंछित होता रहता था। इसलिए मैं अपने बेटों की शादी बिना दहेज के करूंगा। मैंने अपनी इस चिंता से आस-पड़ोस के लोगों व रिश्तेदारों सभी को अवगत कराया। उसी का नतीजा है कि आज हमारे पुत्र का विवाह बहरामपुर गांव निवासी लल्लू साहू की पुत्री मुस्कान साहू से हो पाया है। समाज के सहयोग से शांतिपूर्ण एवं सद्भाव के साथ दहेज मुक्त विवाह संपन्न हुआ। लड़की पूरी तरह से स्वस्थ्य है। उसे कोई दिक्कत नहीं है।

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