कई क्षेत्रों से गांजा- शराब लाकर युवाओं को किया जा रहा बर्बाद
संवाददाता महेश प्रजापति असोथर फतेहपुर
असोथर फतेहपुर/देश के युवाओं को स्वस्थ रखने के लिए सरकार फिट इंडिया जैसे अभियान चला रही है। नशामुक्ति अभियान के तहत अनेक कार्यक्रम कर युवाओं को नशे से दूर रखने के प्रयास होते हैं। इसके बावजूद नशे का जाल युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। नशे का काला कारोबार करने वालों पर सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण नशीले पदार्थ खुलेआम बिक रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक अवैध नशे का कारोबार फैल चुका है।
पुलिस अफसरों के लाख दावों के बाद भी नशे का सामान शहर तक पहुंचता है और गलियों में खुलेआम बिक रहा है। शाम होते ही शहर की कुछ खास बस्तियों में महफिल सजने लगती हैं। नशे के खिलाफ अमृत विचार भी आवाज उठाएगा। जागरूकता के साथ इस अभियान में पुलिस और प्रशासन को कार्रवाई कर इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए जागृत करेगा। पुलिस आए दिन छापेमारी की कार्रवाई करके छोटे नशेबाजों को पकड़कर जेल भेजकर खानापूर्ति की कार्रवाई करती है, जबकि यह नशे का कारोबार कैसे फल-फूल रहा है, उनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
पुलिस के पास ऐसे मामलों में कार्रवाई को लेकर कोई खास योजना नहीं है। इसी कारण यह बेखौफ हो जा रहे हैं। गांजा,चरस और शराब की लत 14 वर्ष तक के किशोरों को लग गई है। ब्लॉक मुख्यालय और नगर के प्राइवेट बस स्टॉप के आस-पास सुबह- शाम घूमने वाले कई किशोर ऐसे मिल जाएंगे,जो खुलेआम गांजा, शराब पीते हुए दिखाई देते हैं। हालांकि पुलिस जब इन पर कार्रवाई करने का प्रयास करती है,तो यह लोग खुद को घायल करके पुलिस से बचने का प्रयास करते हैं। कई बार ऐसे मामले सामने आए,जब पुलिस ने इन नशेबाजों को पकड़ने का प्रयास किया तो इन लोगों ने ईंट- पत्थर और ब्लेड से अपने हांथ को पीटकर/काटकर खुद को बचाने का प्रयास किया। कई बार हवालात में जाकर यह लोग स्वयं खुद पर हमला कर लेते हैं, ऐसी सूचना सुनने को मिलती है। जिसके कारण पुलिस भी इनको पकड़ने से कतराती है।
50 से सौ रुपये में बिक रही पुड़िया और 100 से 120 रूपये में शराब
गांजा, शराब के साथ अन्य नशीले पदार्थ खरीदने के लिए नशेबाजों को ज्यादा भटकने की जरूरत नहीं होती है। इनकी बिक्री बड़े आराम से सड़क/गली के किनारे रखे खोखों से हो रही है। 50 रुपये से लेकर सौ रुपये तक एक पुड़िया और 100 से 120 रूपये में शराब की एक क्वाटर बेच दी जाती है। वहीं कुछ बस्तियों में नशे का कारोबार करने वाले लोगों ने अस्थायी ठिकाने लगा रहे हैं। नशे को बेचने के लिए स्थान के आधार पर दिन भी निर्धारित कर रखे गए हैं। अवैध नशे के कारोबार से जुड़े लोग इतने शातिर हैं, कि यह लोग फोन का प्रयोग नहीं करते हैं। नशे के आदी पुड़िया बेचने वाले को खोजते हुए आसानी से पहुंच जाते हैं। साथ ही नशे के आदी लोग माफियाओं से अपने नशे के साथ – साथ थोड़ा ज्यादा माल लाकर नशे के आदियों को बेंच देते हैं।
पुलिस की कमजोर रहती है कार्रवाई
गांजा और शराब का नशा करने वाले माफिया को खोजने में पुलिस नाकाम रहती है। वहीं किसी भी विवाद से बचने के लिए इन नशेबाजों को पुलिस गिरफ्तार करने की कार्रवाई से भी बचती है। पुलिस को डर रहता है कि नशेबाजों को पकड़कर कुछ देर थाने या चौकी में रखा,और उसने खुद पर ही हमला कर लिया तो इसके बाद जवाब कौन देगा। इस डर की वजह से पुलिस इनको पकड़ने से कतराती रहती है।
थाना क्षेत्रों में चोरी-छिपे काराेबार
थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा कारोबार नगर पंचायत व छोटी बस्तियों समेत यमुना कटरी क्षेत्र व थाने के सभी हल्का क्षेत्रों में चोरी-छिपे और कहीं कहीं खाकी की मिलीभगत से किया जा रहा है। जिसमें थाना क्षेत्र का कंधिया, छिछिनी, कुशुम्भी इलाका गढ़ बन गया है। यमुना कटरी के किनारे झोपड़ियों और बस्तियों में छिपकर महिलाएं, वृद्ध और युवा इस नशे को करते हुए दिखाई पड़ जाएंगे। इसके साथ ही सातों धरमपुर, टीकर, गेंडुरी, जानिकपुर, मनावा, अर्रा, और थाना क्षेत्र के जागेश्वर धाम, धरमपुर सुसवन, सरवल, ऐझी कोटवा में यह कारोबार खुलेआम हो रहा है।
महिलाएं, दिव्यांग और वृद्ध बेच रहे पुड़िया
पुलिस से बचने के लिए इस कारोबार में महिलाओं को आगे रखा गया है। कुछ क्षेत्रों में महिलाएं घर से ही इस काम को बड़े आराम से कर रही है। जबकि, दिव्यांगों की ट्राई साइकिल और खोखे में रखकर भी गांजा और शराब बेचने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही वृद्ध दुकानों में बैठकर व छोटे बच्चों को पैसे का लालच देकर नशे के कारोबार का जरिया बनाया जा रहा है। अवैध नशे के कारोबारी जानबूझ कर इन लोगों से पुड़िया/शराब बिकवाने का काम करवा रहे हैं, ताकि पुलिस की नजरों से बचे रहे।