तत्कालीन सचिव ने अधूरा कार्य कर 70% कराया था भुगतान

फतेहपुर,,जनपद के मलवां विकास खण्ड के कोरसम ग्राम पंचायत को शासन ने ओडीएफ के तहत फर्स्ट फेज में आदर्श ग्राम पंचायत का दर्जा दिया था। बाकायदा वित्तीय बजट भी जारी किया गया था। जहां कचरा पात्र आरसी सेंटर तक में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। पीली ईंट , दोयम दर्जा के निर्माण सामग्री का जमकर प्रयोग हुआ। जिसके चलते कचरा पात्र कुछ दिनों में ही क्षतिग्रस्त होने लगे। जांच को पहुंचे एडीपीआरओ द्वारा भुगतान सहित निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच करते हुए अधूरे कार्य पड़े कार्य,कचरा पात्र में दरवाजे तत्काल प्रभाव से लगवाने के निर्देश दिए गए थे। निर्माण कार्य से ज्यादा का भुगतान होने पर तत्कालीन सचिव अंशू पाण्डेय द्वारा जल्द निर्माण कार्य पूरा कराई जाने के आश्वासन दिया था बावजूद कुछ जगहों में दरवाजा लगाकर फोटो भेजकर जवाब देही से बचने के लिए कागजी कोरम पूरा किया गया लेकिन सभी कचरा पात्रों में अब तक दरवाजे नहीं लगाया जा सके ना ही रंग रोगन व प्रचार हेतु वॉल पेंटिंग कराई गई। हद तो तब हो गई। जब फ़र्ज़ी भुगतान की चर्चा आम हो गई। लेकिन एडीपीआरओ की सख्ती भी नहीं आ रही काम व्यवस्था मैं सुधार देखने को अब तक नहीं मिला। उधर चर्चा है कि मलाईदार ग्राम पंचायत के लिए दो सचिव सत्ता से जुड़े संगठनों के साथ सफेद पोश नेताओं की गणेश परिक्रमा लग रहे हैं। फोन करा कर दबाव प्रभाव की नीति अपना रहे हैं। नवांगतुक ईमानदार मुख्य विकास अधिकारी पवन कुमार मीणा के सामने चल पाती है। भ्रष्टाचार की गाड़ी की रफ्तार यूं ही बनी रहेगी या फिर कार्रवाई होगी यह यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।

इस बाबत एडीपीआरओ ने बताया कि निरीक्षण के दौरान अधूरे कार्य एवं अधिक भुगतान किए जाने कार्य पूर्ण करने की निर्देश तत्कालीन सचिव को दिए गए थे यदि समय रहते कार्य पूरा नहीं किया गया तो विभागीय कार्रवाई पत्राचार के माध्यम से जांच टीम गठित कर कराई जाएगी। सचिव द्वारा अभी तक चार्ज नहीं सौंपा गया है।

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