सूरतगंज बाराबंकी। शासनस्तर से नौनिहालों के भरण पोषण और शिक्षा के लिए तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हैं लेकिन विभागीय जिम्मेदार ही इसके प्रति उदासीन बने हुए हैं। हद तो तब हो गई जब मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्य में भी बाल श्रम अधिनियम की अनदेखी की जाने लगी। सूरतगंज क्षेत्र की ग्राम पंचायत दौलतपुर में मनरेगा योजना के तहत कराए जा रहे चकबन्ध निर्माण कार्य में 15 व 16 साल के बच्चों से काम लिया जा रहा है। बतादें सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत जॉब कॉर्ड धारकों को 100 दिन का काम गांव में ही दिया जाता है। इसके तहत 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को रोजगार दिया जाता है। लेकिन यहां ग्राम प्रधान की मनमानी और विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण बच्चों को भी नही छोड़ा जा रहा है। कार्यस्थल पर रविवार को मनरेगा मजदूरों के साथ कई नाबालिग बच्चे भी फावड़ा चलाते व मिट्टी फेंकते दिखाई दिए। बच्चों के हाथ में कॉपी कलम की जगह फावड़ा थमा देना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। नाथू के खेत से राजितराम के खेत तक चकरोड बनाने के कार्य में बाल श्रम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए नाबालिग बच्चों को लगाया गया लेकिन सब कुछ जानते हुए जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं। उधर ग्रामीणों का कहना है कि तकनीकी सहायक अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह व सचिव पुष्पा मिश्रा की मिलीभगत से बाल मजदूरों द्वारा खुलेआम काम लिया जा रहा है ताकि पैसे कम देने पड़े। इससे जहां कई मजदूरों को काम नहीं मिल रहा वहीं नौनिहालों का भविष्य खराब हो रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि शिकायत के बाद भी प्रधान व उनके पति किसी की सुनते नही हैं। करीब 174700 रुपये की लागत से 300 मीटर लम्बा चकरोड निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जिसमें नाबालिगों को मनरेगा मजदूर बनाकर काम पर लगा दिया गया। जो हाड़तोड़ मेहनत करके फावड़ा चला रहे हैं। ऐसे में खुलेआम बाल श्रम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। वहीं नौनिहालों को धन का लालच देकर मजदूरी कराया जा रहा है। बाल मजदूरों को वयस्क मजदूरों की तुलना में रुपये भी कम दिया जाता है और अधिक काम लिया जाता है। इस संबंध में ब्लॉक के जिम्मेदार अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नही है।