नियमों को दर किनारकर पूर्व प्राचार्य व प्रबंध समिति के अध्यक्ष के सगे संबंधियों की की गई भर्ती
रामनगर बाराबंकी।
महादेवा संस्कृत महाविद्यालय के प्रबंध समिति के अध्यक्ष व पूर्व प्राचार्य पर ग्रामीणों ने सरकारी धन में बंदर बांट करने तथा अपने रिश्तेदारों व चहेतों को नियम के विरुद्ध महाविद्यालय में अध्यापक व कर्मचारी नियुक्त किए जाने का आरोप लगाते हुए आधा दर्जन ग्रामीणों ने जिला अधिकारी को पत्र भेजकर जांच करवाकर कठोर कार्रवाई किए जाने की मांग की है। ग्राम लोधौरा निवासी जय नारायन अवस्थी, राकेश कुमार अवस्थी ,बाबा रामनाथ, सतीश कुमार सहित करीब आधा दर्जन ग्रामीणों द्वारा जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार को दिए गए पत्र में कहा गया है कि महाविद्यालय के बायलाज के अनुसार प्रबंध समिति के अध्यक्ष लोधेश्वर मठ मंदिर के महंत को होना चाहिए। लेकिन नियम कानून को दरकिनार कर पूर्व प्रधानाचार्य शिव प्रसाद शास्त्री ने अपने रिश्तेदार शारदा पुरी को अध्यक्ष बनवा दिया। जबकि उक्त मठ मंदिर का मुकदमा सिविल कोर्ट बाराबंकी तथा उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।शारदानंदपुरी सिविल से मुकदमा भी हार चुके हैं।इसलिए मंदिर का कोई वैधानिक महंत नहीं है। इसके बावजूद भी पूर्व प्रधानाचार्य शिव प्रसाद ने साठ गांठ करके शारदा नंदपुरी को समिति का अध्यक्ष बनाकर अपनी पत्नी गायत्री देवी तथा पूरे परिवार व रिश्तेदारों को नौकरी दिलाकर सरकारी अमानत में खयानत करने का काम कर रहे है। समिति के अध्यक्ष शारदानंदपुरी की बहन गायत्री देवी जो सहित परिवार व रिश्तेदारों की नियुक्ति कर दी गयी है। बताते चलें की संस्कृत महाविद्यालय की वर्तमान की प्रधानाचार्य गायत्री देवी जो कि प्रबंध समिति के अध्यक्ष शारदा पुरी की सगी बहन व पूर्व प्राचार्य शिवप्रसाद मिश्र की पत्नी है। शिक्षकरुद्रप्रसाद त्रिपाठी शारदा पुरी के सगे भाई व पूर्व प्राचार्य के साले हैं, शिक्षक ज्ञान प्रकाश मिश्रा पूर्व प्राचार्य की सगे भाई व अध्यक्ष शारदा पुरी के बहनोई के सगे भाई हैं । वह विद्यालय में ही कार्य रमेश कुमार पूर्व प्राचार्य के पुत्र तथा प्रबंध समिति हुआ वर्तमान प्रधानाचार्य के भी करीबी रिश्तेदार हैं। संस्कृत महाविद्यालय अपने लक्ष्य वी उद्देश्यों से भटक कर केवल प्रबंध समिति के अध्यक्ष व पूर्व प्राचार्य की सगे सम्बंधियों/परिजनों की भर्ती होकर निश्चय ही प्राइवेट लिमिटेड संस्था बनकर रह गई है। महाविद्यालय के शिक्षक व कर्मचारियों की नियुक्ति में छात्र अनुपात का भी ध्यान नहीं दिया गया है। यही नहीं सरकार द्वारा विद्यालय भवन के रखरखाव मरम्मत तथा छात्रवृत्ति के लिए करोड़ों रुपए दिए गए हैं। जिनका भी कोई लेखा-जोखा नहीं है। गौरतलब बात यह है कि महाविद्यालय में मात्र चार से पांच कमरे हैं और छात्र संख्या भी बहुत कम है इसके बावजूद भी साथ गांठ कर फर्जी आंकड़े दर्शाकर महाविद्यालय की मान्यता प्राप्त करवा ली गई है। ग्रामीणों ने जनहित के मद्देनजर जिलाधिकारी से विशेष टीम गठित कर संपूर्ण प्रकरण की जांच करवा कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई किए जाने की मांग की है।