बाराबंकी। विकासखंड कार्यालय में बीडीओ 5 से 6 घण्टे तक प्रतिदिन ब्लॉक कर्मियों के साथ बैठक कर चाय की चुस्कियां लेते रहते है।इस दौरान अगर कोई फरियादी अपनी समस्या लेकर आ जाए तो उसे घण्टों कार्यालय के बाहर बैठकर मीटिंग खत्म होने का इंतजार करना पड़ता है। तमाम फरियादीयों के सब्र का बांध टूटने के बाद बिना समस्या सुनाए ही बैरंग वापस लौट जाते हैं। अपने को सीडीओ का खास बताने वाले बीडीओ किसी की शिकायत सुनना भी पसंद नही करते। मीटिंग खत्म होते ही बीडीओ ब्लॉक मुख्यालय से रवाना हो जाते हैं। लाखों की लागत से ब्लॉक में बनाए गए सरकारी आवास सूने पड़े रहते हैं। रामनगर ब्लॉक में बीडीओ विजय कुमार सिंह तैनात हुए है जिनका शासन से स्थानांतरण भी सिद्धार्थ नगर हो गया है लेकिन अभी रिलीव नही हुए है ।ब्लॉक में कार्य देख रहे है।अभी तक उन्होंने सभी गौ शालाओं का निरीक्षण तो किया लेकिन व्यवस्थाए सही नही कर पाए जिसका नतीजा है कि भूसा के बजाय पुआल पशु खा रहे है और ठंडक में पशुओं को बचाने के इंतजाम तक नही हो सके। ब्लॉक मे कभी 11 बजे तो कभी 4 बजे अचानक आकर मीटिंग करते है व ब्लॉक के कर्मचारियों व प्रधानों पर दबाव बनाकर मनरेगा कार्य बढ़ाने का दबाव बनाते है।इसके अलावा न तो वे ब्लॉक में निवास करते न ही आवासो के निर्माण में रुचि रख रहे है।यही कारण है कि 355 आवास अब तक पूरे नही हो सके है।कमियों को छिपाने के लिए लाभार्थियों को नोटिस दे रहे लेकिन आवास बनवाने का काम नहीं कर रहे।।मनरेगा के जो कार्य देखने जाते है उन गाँवों के प्रधानों को बुलाकर वार्ता करने के बाद ही उन पर आगे कार्यवाही करते हैं। उनकी कार्य शैली पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं। जब कोई फोन करता है तो स्पष्ट उत्तर देने के बजाय यह कह कर कि मीटिंग में हू अभी बात करूंगा कह कर फोन काट देते हैं। उनकी इस ब्लॉक मे पहली तैनाती है। बीडीओ से जब गौ शालाओं मे ठंडक जब निपटने के इंतजाम नहीं व भूसा के बजाय पुआल खिलाने के बारे में पूंछा गया तो बोले की बड़े बाबू से पूँछ लो।

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