राम झरोखे बैठकर सबका मुजरा लेय, जाकी जैसी चकरी वाको वैसा देय
बाराबंकी। उत्तर प्रदेश महाराज जी ने आश्रम में बताया कि जिसको आप लोग नहीं देख पा रहे हो, वह आपकी सारी अच्छाई-बुराई को 24 घंटे देखता रहता है। उसका न तो पेन खराब होता है, न स्याही और न ही उसका कागज जलता सड़ता है। मोटे-मोटे सुनहरे पन्नों में इतनी बढ़िया लिखावट होती है कि देखते ही रह जाओ। वह पन्ना कभी खराब नहीं होता है। लिखावट भी कभी खत्म नहीं होती है। स्याही कभी फीकी नहीं पड़ती। अपने आप उसमें सब लिखा जाता रहता है। कहा गया है- राम झरोखे बैठकर सबका मुजरा लेय और जाकी जैसी चाकरी उसको वैसा दे। कहा गया है- पैदा होते ही दो दूत बैठा देते हैं- एक दाएं और एक बाएं कंधे पर। दाएं कंधे वाला अच्छा और बाएं कंधे पर बैठा बुरे कर्म लिखते रहते हैं। जैसे ही शरीर छूटा तैसे ही अपना कागज फाइल वहां पेश कर देते हैं। उनके मंत्री पेशकार-चित्रगुप्त के पास सबका लेखा-जोखा रहता है। देर नहीं लगती है, तुरंत पूरे जीवन का हाल बता देते हैं। इतनी अच्छाई किया और इतनी बुराई किया। अच्छाई रहती है तो जीव वहां जाता ही नहीं है, स्वर्ग बैकुंठ में चला गया, रास्ता मिल गया, उससे आगे चला गया, नहीं तो मृत्यु लोक में ही पुनर्जन्म हो गया। वहां जाने की जरूरत नहीं रहती है। ज्यादातर पाप ही रहता है तो फिर उसकी सजा वह बोल देता है। फिर (यमराज के दूत) आये, सीने पर सवार हुए, दबाये, चिल्लाया, बेहोश होने लगा तब हट गए फिर सवार। नरकों में मिलने वाली सजा और वहां के सिस्टम के बारे में महाराज जी ने और भी बहुत कुछ बताया और सबको समझाया कि समय रहते चेतो।
आपकी लड़ाई कलयुग से है
महाराज जी ने 19 मार्च 2019 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि गुरु महाराज कहा करते थे समुद्र बहेगा (यानी ये जयगुरुदेव संगत बहुत बढ़ेगी)। दादा गुरु भी गुरु महाराज से कहा करते थे कि आगे चलकर ये समुद्र का रूप ले लेगा। वह समुद्र का रूप अब दिखाई पड़ रहा है। समुद्र का रूप अगर आप नहीं बनाओगे, आप अपनी संख्या अगर नहीं बढ़ाओगे तो आपकी लड़ाई किससे है? कलयुग से है। कलयुग कमजोर नहीं है। कलयुग जबरदस्त है, राजा है। तो क्या राजा से लड़ाई इतनी मामूली है? न तीर उठाओ, न तलवार उठाओ और प्रेम से लड़ाई लड़ करके, लोगों की विचार भावनाओं को इकट्ठा करके कलयुग को परास्त करना है। ये मामूली बात नहीं। ऐसे कलयुग नहीं चला जाएगा। जाएगा भी अगर, अकेले से तो महापुरुष के संकल्प से जाएगा। लेकिन महात्मा श्रेय दूसरों को दे दिया करते हैं। जब-जब परिवर्तन होता है तो देखो इतिहास उठा करके, महात्माओं ने श्रेय दूसरों को दिया। त्रेता जाने को हुआ तो राम ने श्रेय बंदर-भालू को दिया। द्वापर जाने को हुआ तो परिवर्तन हुआ, कृष्ण ने सब काम किया, लेकिन गोपी-ग्वालों को श्रेय दिया। अरे लकड़ी लगाने वाले को तैयार करना पड़ता है। तैयार नहीं करोगे, संगत नहीं बढ़ाओगे तो कैसे लड़ाई आपकी सफल होगी? तो देरी होती जाएगी, काम पिछड़ता जाएगा, तो यह तो जरूरी है।
संकट से यदि बचना है तो जयगुरुदेव नाम जपना है
महाराज जी ने 21 फरवरी 2020 प्रातः लखनऊ (उ.प्र.) में बताया कि संकट से यदि बचना है तो जयगुरुदेव नाम जपना है। बाबा जी का कहना है, नशा मुक्त रहना है। बीमारी से बचना है, शाकाहारी रहना है। यह याद कर लो और लोगों को याद करा दो। बोलो जयगुरुदेव।