फतेहपुर! संयुक्त सामाजिक एकता मंच के आवाहन पर विभिन्न संगठनों के लोगों ने कलेक्ट्रेट पहुचकर जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमन्त्री के नाम ज्ञापन देते हुए अवगत कराया कि विगत 6 दिसंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज में कार्यरत प्रोफेसर डॉ लक्ष्मण यादव एवं अन्य प्रोफेसरों को उनकी सेवा से हटा दिया गया है । जो कि कई वर्षों से लगातार शिक्षण कार्य कर रहे थे। उन पर किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं है और न ही उन्हें किसी भी प्रकार की नोटिस दी गई है। बिना किसी पूर्व सूचना के उन्हें उनके पद से निष्कासित कर दिया जाना किसी भी तरह से न्याय संगत नहीं है। जिससे देश के तमाम सामाजिक संगठनों ,शिक्षकों, कर्मचारियों एवं उच्च शिक्षा में शिक्षण कार्य करने की तैयारी करने वाले प्रतियोगियों में भारी आक्रोश है और विश्वविद्यालय के कुलपति एवं संबंधित कॉलेज के प्राचार्य से कुछ जवाब मांगे गए हैं जो निम्नलिखित हैं ।
1- गोल्ड मेडलिस्ट प्रो० डॉक्टर लक्ष्मण यादव एवं अन्य प्रोफेसरों को जो लगातार 14 -15 वर्षों से सेवा दे रहे थे क्यों हटाया गया?
2- जिन नए प्रोफेसरों को नियुक्त किया गया है क्या उनका ए पी आई (एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडेक्स) डॉक्टर लक्ष्मण यादव से अधिक है?
3- जिन प्रोफेसरों को नियुक्त किया गया है क्या उनका शैक्षिक अनुभव प्रोफेसर डॉक्टर लक्ष्मण यादव से अधिक है ?
4- क्या डॉक्टर लक्ष्मण यादव के खिलाफ कॉलेज के विद्यार्थियों के द्वारा किसी प्रकार की शिकायत की गई है?
5- क्या संविधान की बात करना या सामाजिक एकता दबे कुचले, मजदूरों, मजलूमों की बात करना विश्वविद्यालय के नियमावली के खिलाफ है?
6-क्या कोई प्रोफेसर सामाजिक मुद्दों पर अपनी बात नहीं रखते?
ऐसे तमाम प्रोफेसर विश्वविद्यालय में काम कर रहे हैं और वे सामाजिक राजनीतिक आर्थिक विश्लेषण के मुद्दों पर विभिन्न मंचों एवं मीडिया पर अपनी बात रखते हैं और यदि यही कार्य प्रोफेसर लक्ष्मण यादव कर रहे हैं तो उन्होंने क्या गलत किया है ?
7-यदि लक्ष्मण यादव अयोग्य थे तो 14 वर्षों से अब तक लगातार उनसे क्यों पढ़वाया गया और तमाम विद्यार्थियों का भविष्य खराब क्यों किया गया ?उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? ऐसे विभिन्न सवालों का जवाब मांगते हुए मांग की गई कि प्रोफेसर लक्ष्मण यादव एवं अन्य नवनियुक्त प्रोफेसरों का एपीआई, शैक्षिक अनुभव, लेख आदि सार्वजनिक किया जाए। यदि प्रोफेसर डा लक्ष्मण यादव का एपीआई एवं अनुभव छपे हुए आर्टिकल्स की संख्या अन्य की अपेक्षा कम हो तो उजागर किया जाए। यह भी कहा गया यदि ऐसा ही होता रहा तो सबका साथ सब का विकास एवं सब का विश्वास कहां सार्थक हो पाएगा। तब यह केवल एक थोथा जुमला ही साबित होगा।
और यदि भेदभाव और कुत्सित, जातिवादी, मानसिकता से ऐसा किया गया है तो उन सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। और भेदभाव के शिकार हुए डा लक्षमण यादव सहित सभी प्रोफेसरों को पुन : नियुक्त किया जाये। ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से, एड. इंद्रजीत यादव, एड अश्विनी यादव, डा अमित पाल, एड प्रभात पटेल, एड पुस्पेंद्र यादव, एड अंगद यादव, एड जगदीश मौर्य, एड हेमंत तिलक, फूल सिंह मौर्य,इंद्रराज पाल, शंकर लाल सविता, रजोल सेन, दिनेश पाल, चौधरी राजेश यादव, वीर सिंह यादव, संजय यादव, सिपाही लाल यादव, एड योगेश पासवान, एड उपेंद्र गौतम, एड बासदेव पासवान, एड सुरेश चंद्र, एड बाबूलाल करुणाकर, एड विनय यादव, एड वीरेंद्र सिंह यादव, सुरजभान पाल, नीरज पाल, दिलीप पटेल, अजीत यादव, ज्ञान सिंह मौर्य, एड ओम प्रकाश पाल, एड चंद्रमणि भास्कर, एड फूलचंद्र पाल, मनोज पासवान, समरजीत पाल, एड जगनायक सचान, जियालाल, एड रवीन्द्र यादव, एड ब्रजेंद्र यादव, नरसिंह यादव, मुन्ना लोधी, गंगाप्रसाद लोधी, फूल सिंह लोधी, एड दीपक यादव, एड संजय यादव, सहित सैकणों लोग उपस्थित रहे।