रामनगर बाराबंकी।सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा वर्तमान में अपने उद्देश्यों से भटक कर ठेकेदारों के मकडजाल में फंस चुकी है ,जिससे मनरेगा द्वारा कराए गए कार्यों की गुणवत्ता गिरती जा रही है।बताते चलें कि रामनगर तहसील के विकासखंड रामनगर व सूरतगंज में अधिकांशत: पंचायतों में मनरेगा द्वारा कराये जाने वाले कार्यों में ठेकेदारों का बोलबाला है। इन ठेकेदारों की ब्लॉक स्तरीयअधिकारियों व कर्मचारियों का संरक्षण प्राप्त रहता है। इतना ही नहीं सूत्रों की माने तो ब्लॉक के अधिकारी और कर्मचारी भी ठेकेदारों को जमकर प्रश्रय देते हैं और उनसे बदले में मनमाना कमीशन तय करते हैं। रामनगर ब्लॉक मुख्यालय के करीबी ग्राम पंचायत कटियारा में बनाए गए गौआश्रय स्थल में भी एक ठेकेदार द्वारा कार्य कराया गया और विभागीय अधिकारी भी उस ठेकेदार पर जमकर मेहरबान रहे ।अन्य गौशालाओं का भुगतान भले ही लटक गया हो किंतु कटियारा गौशाला का कई लाख का भुगतान निरंतर होता गया। कई प्रधानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ठेकेदारों से कार्य करवाना हम लोगों की मजबूरी है क्योंकि ठेकेदारों की मनरेगा अधिकारियों और कर्मचारियों से सेटिंग रहती है उनका कमीशन तय रहता है जिससे ठेकेदारों की फाइल निरंतर आगे बढ़ती रहती है। हम प्रधानों को फाइलों में कमियां बताकर बार-बार दौड़ाया जाता है ,इसलिए ब्लॉक के चक्कर काटने की अपेक्षा ठेकेदारों से मनरेगा से कार्य करवा लेना ही हम लोगों के लिए बेहतर है।अब सवाल यह उठता है कि आखिर मनरेगा एक्ट के किस आर्टिकल में ठेकेदार द्वारा बिना टेंडर के कार्य कराए जाने का विवरण है ?यदि नहीं है तो ऐसी दशा में जिम्मेदार अधिकारियों के संरक्षण में आखिर ठेकेदारों से कार्य क्यों कराया जा रहा है?ऐसी दशा में विभागीय जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा धृतराष्ट्र की भूमिका में रहना इन अधिकारियों की भ्रष्टाचार पूर्ण कार्य शैली स्वत: ही सिद्ध करती है।