बलवान सिंह
राममंदिर निर्माण के साथ ही पर्यटन व रोजगार की संभावना बढ़ाने के लिए आसपास के जिलों से रामनगरी का जुड़ाव हो सके, इसी के मद्देनजर पांच जिलों से होकर गुजरने वाले 84 कोसी परिक्रमा पथ को विकसित करने की कवायद तेज हो गई है। इसके लिए दो हजार करोड़ का टेंडर भी हो चुका है। 275 किमी. लंबे परिक्रमा मार्ग को चमकाने में कुल 3350 करोड़ खर्च होंगे।
84 कोसी परिक्रमा मार्ग के निर्माण के लिए दो तिहाई हिस्से का टेंडर जारी कर दिया गया है। इस हिस्से को 18 से 24 माह में पूरा करने की मियाद तय की गई है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग 227 बी घोषित किया है। पूरे परिक्रमा मार्ग को 45 मीटर चौड़ा किया जाएगा, टू लेन सड़क बनाई जाएगी। वैसे तो पारंपरिक परिक्रमा मार्ग की लंबाई 253.6 किमी. है लेकिन एनएचएआई 275 किमी. सड़क का निर्माण कराएगा। संपर्क मार्ग और अन्य चुनिंदा स्थलों पर 60 मीटर तक चौड़ी सड़क का निर्माण होना है। इसके लिए परिक्रमा के शुरूआती स्थल बस्ती के मखौड़ा से जिले के सारपुर, सारपुर से गोसाईगंज, गोसाईगंज से बीकापुर और बीकापुर से पटरंगा के बीच बनने वाले परिक्रमा मार्ग का टेंडर जारी कर दिया गया है।
परिक्रमा पथ पर भारी वाहनों के आवागमन को रोकने के लिए थोड़ी-थोड़ी दूरी पर स्ट्रीट लाइट बैरियर लगाया जाएगा। 84 कोसी परिक्रमा पांच जिलों बस्ती, गोंडा, अयोध्या, बाराबंकी और अंबेडकरनगर से होकर गुजरती है। परिक्रमा पथ एनएच 28, एनएच 27, एनएच 135 ए, एनएच 330 व बीक़पुर, इनायतनगर से जुड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग बनने से पांच जिलों के 107 गांवों का भी पर्यटन विकास हो सकेगा।
परिक्रमा पथ के निर्माण कार्य को कुल छह फेज में बांटा गया है। जिसमें फेज एक के तहत बस्ती, फेज दो बस्ती व अयोध्या, फेज तीन अंबेडकरनगर व अयोध्या, फेज चार अयोध्या, फेज पांच बाराबंकी व गोंडा और फेज छह गोंडा के गांव जो परिक्रमा मार्ग पर स्थित हैं। 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के दोनों तरफ पांच-पांच मीटर चौड़े परिक्रमा पथ होंगे, जिस पर हरी घास लगाई जाएगी। वहीं परिक्रमा मार्ग पर 23 स्थानों पर शाकाहारी भोजनालय और विश्राम की समुचित व्यवस्था की जाएगी।
परिक्रमा मार्ग पर पड़ने वाली सरयू नदी पर दो पुलों का भी निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। मूर्तियन घाट व शेरवा घाट पर पुल का निर्माण होगा। 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर रामायणकालीन पौधेरोपित किया जाएंगे। आम, जामुन, पीपल, बरगद, अशोक आदि के पेड़ लगाए जाने की तैयारी है। इस रास्ते में कई विश्राम स्थल बनाए जाने का भी प्रस्ताव है। मखधाम, मखौड़ा से शुरू होती परिक्रमा की 84 कोसी परिधि रामनगरी की पौराणिकता का गवाह है। यही नहीं इसमें पड़ने वाले आध्यात्मिक स्थलों के साथ रामनगरी की समृद्ध आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत भी प्रवाहमान है। राजा दशरथ के समय की अयोध्या 84 कोस में फैली थी। इसे रामनगरी की सांस्कृतिक सीमा कहा जाता है। भगवान राम से जुड़े पौराणिक स्थल 84 कोसी परिक्रमा पथ के साथ ईद-गिर्द भी स्थित हैं। अयोध्या से 20 किमी उत्तर स्थित बस्ती जिले के मखौड़ा धाम से 84 कोसी परिक्रमा शुरू होती है। इसी स्थल पर युगों पूर्व राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति की कामना से यज्ञ किया था। रास्ते में कुल 21 पड़ाव आते हैं। मान्यता है कि 84 लाख योनियों में भटकने से मुक्ति के लिए यह परिक्रमा की जाती है।
रामनगरी की पौराणिकता का गवाह 84 कोसी परिक्रमा इलाके में पड़ने वाले 154 धार्मिक स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। उपनिदेशक पर्यटन आरपी यादव ने बताया कि इसके लिए भेजे गए इस्टीमेट को शासन ने स्वीकृत कर 100 करोड़ रुपये का फंड रिलीज कर दिया है। उन्होंने बताया कि अब अयोध्या का क्षेत्र 84 कोसी परिक्रमा इलाके तक हो गया है। इनमें आने वाले ऋषियों-मुनियों की तपस्थलियों और धार्मिक स्थलों जैसे सूरजकुंड, भरतकुंड, आस्तीकन, मखौड़ा, श्रगी ऋषि का आश्रम, जनमेजय व वाम देव जी का आश्रम आदि धार्मिक स्थल इस पथ पर उपेक्षित पड़े हैं। इनका भी सुंदरीकरण कराया जाएगा।
84 कोसी परिक्रमा पथ राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित हो चुका है। पथ के आसपास के इलाके पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होंगे। धार्मिक स्थलों का सुंदरीकरण कराया जाएगा। छह फेज में परिक्रमा पथ को विकसित किया जाना है। दो हजार करोड़ का टेंडर भी जारी किया जा चुका है, जल्द काम शुरू होगा।