फतेहपुर बिना डॉक्टर के परमीशन के बगैर चोरी से की गई फोटो कॉपी तो पॉली क्लीनिक के रजिस्ट्रेशन के लिए सीएमओ साहब के दफ्तर तक पहुंच गई और स्वास्थ विभाग की टीम क्लीनिक का निरीक्षण भी कर लिया जबकि पॉली क्लीनिक में ओटी का होना भी अवैध है लेकिन स्वास्थ विभाग की टीम को ठेंगा दिखाते हुए ओटी मे ताला लगा और अवैध समान को वहा से हटा कर मानक को पूरा दिखा दिया गया जबकि नियम यह है कि जो डॉक्टर जिस नर्सिंग होम पाली क्लीनिक या हॉस्पिटल में जो भी अपने कागज लगाएगा तो वह उस नर्सिंग होम और पाली क्लीनिक में अपनी सेवाएं देगा और उसकी सारी जिम्मेदारी होगी लेकिन मजे की बात यह है कि जब इसकी भनक मीडिया के कानो तक पहुंची तो मीडिया वालों ने जब डॉक्टर से कागज और पाली क्लीनिक में बैठ कर मरीजों के इलाज के बारे में जानकारी लिया तो डॉक्टर ने अपने कागज और अपनी सेवाएं देने से साफ मना कर दिया की मुझे तो इसकी जानकारी भी नहीं है कि मेरे कागज का प्रयोग कर पॉली क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन हो रहा है और ये सब मेरे जानकारी में भी नही है की मेरा कागज कहा लग रहा है अगर इसी कोई बात है तो मै खुद इसकी जानकारी सीएमओ आफिस से करूगी और अगर मेरे अनुमति बगैर मेरे कागज का प्रयोग बगैर मेरे अनुमति के हो रहा है तो मै संचालिका के उपर कानूनी कार्रवाई करूगी
जी हां हम बात कर रहे हैं बिंदकी बस स्टॉप खलील नगर मुस्लिम इंटर कालेज के पास संचालित आपूर्वा पाली क्लीनिक की जो इसके पहले काव्या नर्सिंग होम के नाम से संचालित था जो की अवैध कार्यों मे लिप्त था रोजाना के सात से आठ आबर्सन चोरी छिपे आशा बहुओं और दलालों के द्वारा लाकर किया जाता था जिसकी शिकायत का वीडियो मीडिया तक पहुंचा और मीडिया ने संज्ञान में लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया और डिप्टी सीएमओ ने तत्काल प्रभाव से छापा मारकर काव्या नर्सिंग होम को सीज कर दिया था जो की पूर्ण रूप से फर्जी था दो तीन माह तक नर्सिंग होम बन्द होने से काव्या नर्सिंग होम की संचालिका अशोक कुमारी बौखला गई थी और अपने मरीजों को लेकर इधर उधर भर्ती करती रहीं लेकिन पैसा और पहुंच के आगे एक बार फिर से स्वास्थ विभाग के अधिकारियों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया और अब चोरी की फोटो कॉपी के जरिए अपने नर्सिंग होम का नाम बदल कर अपूर्वा पाली क्लीनिक रख दिया जबकि मजे की बात यह है की जिस डॉक्टर के कागज अपूर्वा पॉली क्लीनिक में लगा कर राजिस्टेशन करवाया जा रहा है उस डॉक्टर को इसकी भनक तक नहीं है जबकि इसके पहले भी अशोक कुमारी ने अपना पहला अस्पताल लोधी गंज में मां हॉस्पिटल के नाम से संचालित किया था और वहा दो तीन मौतों के बाद डिप्टी सीएमओ एस्त्याक अहमद ने पुलिस प्रशासन की मौजूदमी में
सीज कर बन्द करवा दिया था इसके बाद अशोक कुमारी ने अपना दूसरा नर्सिंग होम काव्या नर्सिंग होम के नाम से बिंदकी बस स्टॉप के पास खलील नगर में खोला जहा रोज अनलीगल केस कर आशा बहुओं और दलालों के साठ गांठ से मरीजों को लूटती रही जहा रोजाना सात आठ अबारसन किया जाता था जिसकी भनक मीडिया के कानो में पड़ी और मीडिया ने खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया और स्वास्थ विभाग की टीम ने छापा मारकर अवैध नर्सिंग होम को फिर सीज कर दिया लेकिन पैसे और पहुंच के कारण एक बार फिर स्वास्थ विभाग को झुकना पड़ा सीज अस्पताल का ताला खोलना पड़ा और अब काव्या नर्सिंग होम की जगह अपूर्वा पाली क्लीनिक रख दिया गया जबकि जो डॉक्टर के कागज अपूर्वा पाली क्लीनिक में दिखाया गया है वह पूरी तरह से फर्जी है डॉक्टर को खुद नही मालूम की मेरे कागज कहा लग रहे हैं सवाल यह उठता है की चोरी के कागज से पाली क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन तो हो जायेगा लेकिन अगर फिर कोई घटना हुई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा जेल कौन जायेगा डॉक्टर साहब या अशोक कुमारी या जो क्लीनिक का संचालक सीएमओ साहब जरा एक बार पुनः इसकी जांच करले और फिर रजिस्ट्रेशन नंबर दे किसी के जिन्दगी से खिलवाड़ न करे!?

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